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शासन के लेमरू एलिफैंट कॉरिडोर प्रोजेक्ट का ग्रामीणों ने किया पुरजोर विरोध, बोले- जान दे देंगे लेकिन सहमति नहीं देंगे

locationअंबिकापुरPublished: Oct 06, 2020 05:59:29 pm

Elephant project: शासन में आते ही कांग्रेस सरकार (Congress Government) ने की थी इस प्रोजेक्ट की घोषणा, वन विभाग (Forest department) को ग्रामीणों को समझाइश देने का मिला है आदेश, सचिवों को ग्राम सभा आयोजित करने को कहा गया

शासन के लेमरू एलिफैंट कॉरिडोर प्रोजेक्ट का ग्रामीणों ने किया पुरजोर विरोध, बोले- जान दे देंगे लेकिन सहमति नहीं देंगे

Villagers protest against Lemru project

अंबिकापुर/उदयपुर. शासन की महत्वाकांक्षी योजना हाथी कॉरिडोर परियोजना लेमरू (Lemru elephant project) का विकासखंण्ड उदयपुर एंव लखनपुर में पुरजोर विरोध प्रारंभ हो गया है। विदित हो कि कांग्रेस सत्ता में आई, उसी समय हाथियों के रिजर्व एरिया के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने लेमरू हाथी परियोजना की घोषणा की, उस समय भी लोगों ने सभाएं आयोजित कर इस परियोजना का विरोध किया था।
इसी बीच कोरोना का संकट काल आया और यह परियोजना ठंडे बस्ते मे चली गई, परन्तु 2 अक्टूबर को ग्राम सभा के आयोजन की सूचना आई और सचिवों को आवश्यक रूप से ग्राम सभा के आयोजित करने का आदेश मिला।
वहीं वन विभाग को आदेशित किया गया कि वे ग्राम सभा में जाकर हाथी लेमरू परियोजना (Lemru elephant project) की जानकारी लोगों को दें और समझाइश भी दें कि लोगों को विस्थापित नहीं किया जाएगा, सिर्फ हाथी के लिए गांव की सीमा में घेराव किया जाएगा।

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वन विभाग के कर्मचारियों ने गांव में आकर इस प्रोजेक्ट के संबंध जब बताना शुरू किया तो लोग आक्रोशित होते चले गये और उन्होंने कहा कि यदि ऐसा ही शासन चाहता है, तो हम ग्राम सभा में सहमति का प्रस्ताव किसी भी हाल में नहीं देंगे, चाहे हमारी जान ही क्यों न चली जाए।
लोगों ने यह भी कहा कि यदि सरंपच-सचिव हमारी मर्जी के खिलाफ शासन के दबाव में आकर सहमति प्रदान करते हैं तो उन्हें इस गलती का दंड भुगतने के लिऐ तैयार रहना होगा।

शासन के लेमरू एलिफैंट कॉरिडोर प्रोजेक्ट का ग्रामीणों ने किया पुरजोर विरोध, बोले- जान दे देंगे लेकिन सहमति नहीं देंगे
ग्राम सभा का आयोजन लेमरू प्रोजेक्ट के लिए मतरिंगा, सितकलो, बुले, भकुरमा, पनगोती, बड़े गांव, मरेया, कुड़ेली, बकोई, पेंण्डरखी, खूजी, सायर, कुम्डेवा, जिवालिया बिनिया, अरगोती, ढोढ़ाकेसरा, पटकुरा जैसे अनेक सीमावर्ती एंव पहाड़ी इलाकों में किया गया था।
सभी ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने एक स्वर में यही कहा कि हम किसी भी हाल में अपने क्षेत्र में इस परियोजना को लागू नहीं होने देगें एवं अंतिम संास तक लड़ते रहेंगे।

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बैठकों का दौर जारी
2 अक्टूबर के बाद लगातार गांव में बैठकों का दौर जारी है। वहीं वन विभाग भी सक्रिय है, संरपच सचिवों की बैठक भी आला अफसर ले रहे हैं। इसी तारतम्य मे 30 गांव के जनप्रतिनिधियों की बैठक ग्राम केदमा में भी 5 अक्टूबर को क्षेत्रीय नेता विनोद हर्ष की उपस्थिति मे आयोजित की गई।
इसमें सभी ग्रामीणों ने कहा कि हम सरकार की मंशा को सफल नहीं होनें देगें क्योंकि हाथियों (Elephants) के आने के बाद लोग स्वयं घर छोड़ भागने को मजबूर होंगे। लोगों ने एक स्वर में कहा कि वन विभाग की समझाइश बेकार है तथा हम किसी के दबाव में नही आयेंगे और सरकार द्वारा निर्मित इस विषम परिस्थिति का डटकर मुकाबला करेंगे।

बैठक में ये रहे उपस्थित
केदमा में हुई बैठक में विनोद हर्ष, सरपंच कृतिका सिंह, जनपद सदस्य सज्जू सिंह, पूर्व जनपद सदस्य प्रेम सिंह, शिक्षक रामलाल सिंह, केसी चौहान, अशोक अग्रवाल, सुनील अग्रवाल, बृजेश चतुर्वेदी, श्रीनाथ सिंह, महेश्वर सिंह, अशोक दास, लखन यादव, दिनेश सिंह, गुलाब सिंह सहित सभी पंच व बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

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ग्रामीणों को इस बात की है चिंता
ग्रामीणों का यह भी कहना था कि इधर कभी-कभी कुछ हाथी आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन परियोजना बनने के बाद सरकार पूरे प्रदेश के हाथियों को लाकर यहां छोड़ देगी और हाथी गांवों में न घुसे, ऐसा हो ही नहीं सकता। लोगों ने कहा कि हमारे पास गाय, भैंस, बकरी जैसे पालतू जानवर हैं जिन्हें हम जंगल में ही चराते हैं लेकिन हाथियों के आने के बाद अन्य पशुओं को चारा पानी नहीं मिल पाएगा।

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