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छोटे भाई की मृत्यु की खबर सुन सदमे में आई बड़ी बहन ने कुछ देर में ही लिया ये बड़ा फैसला

Eye Donation: अपने चचेरे भाई के घर 10-12 साल से रह रहा था 32 वर्षीय युवक कुशल, जैसे ही बड़ी बहन को भाई के निधन की खबर मिली वह पति के साथ पहुंची शहर, किसी और की जिंदगी रोशन करने का निर्णय लेने के बाद डॉक्टरों (Doctors) ने ससम्मान किया ये काम

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Eye donation

Late Kushal kedia and his elder sister

अंबिकापुर. Eye Donation: आंखें अनमोल होती हैं, इसका मोल वही जान सकता है जो आंखों से नहीं देख सकते। नेत्रदान कर किसी की दुनिया को रोशन किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ शहर के एक युवक के निधन पर उसके परिजनों ने कर दिखाया। दरअसल नगर के 32 वर्षीय एक युवक के निधन पर परिजन पर जहां दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, वहीं उन्होंने सदमे के बीच ही मृतक के नेत्रदान (Eye donate) का निर्णय लेकर मिसाल पेश करते हुए किसी और की जिंदगी में उजाला लाने का काम किया है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नेत्र चिकित्सकों ने उनके निवास पर पहुंचकर दोनों आंखों का कार्निया निकाल सिम्स मेडिकल कॉलेज बिलासपुर भेज दिया।


झारसुगुड़ा निवासी 32 वर्षीय कुशल केडिया पिता स्व. मुरलीधर केडिय़ा कुछ दिनों से अपने चचेरे भाई कमल अग्रवाल के साथ अंबिकापुर मिशन चौक के पास रहते थे। उनकी तबियत पिछले 10-12 वर्ष से खराब चल रही थी। सोमवार की सुबह अचानक उनका निधन हो गया।

कमल अग्रवाल ने निधन की जानकारी कुशल की दीदी किरण शर्मा व जीजा शिव शर्मा को दी। भाई की मौत की खबर सुनते ही बहन सदमे में आ गई। फिर भी इस दुख की घड़ी में दीदी व जीजा ने कुशल का नेत्र दान करने का निर्णय लिया।

परिजन की सहमति से मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नेत्र विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. रजत टोप्पो व नेत्र सहायक अधिकारी रमेश धृतकर ने उनके निवास पर जाकर कुशल के पार्थिव शरीर से पूर्ण सम्मान के साथ दोनों आंखों का कॉर्निया निकाल कर सिम्स मेडिकल कॉलेज बिलासपुर भेजा।

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आई बॉक्स के माध्यम से भेजा गया सिम्स
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नेत्र विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. रजत टोप्पो ने बताया कि स्व. कुशल केडिया के पार्थिव शरीर से दोनों आखों के कार्निया निकालकर आई कंटेनर में रखे गए। इसके बाद कंटेनर को कोल्ड चेन में डाला गया। कार्निया को 4 डिग्री तापमान में रखने का नियम है। इसके बाइ आई कंटेनर को सोमवार की दोपहर 3 बजे निजी वाहन से सिम्स के लिए भेज दिया गया।


किसी की जिन्दगी होगी रोशन
डॉ. रजत टोप्पो ने बताया कि मृतक के परिजन की सहमति से नेत्रदान किया जा सकता है। यह बेहतर कार्य है। सरगुजा में अब तक 4 लोगों का नेत्र दान किया जा चुका है। आई कंटेनर के माध्यम से कार्निया को बिलासपुर सिम्स के लिए भेज दिया गया है। वहां आई बैंक में रिसीव भी कर लिया गया है। 72 घंटे के अंदर किसी जरूरतमंद को लगाया जाएगा और वह पूरी दुनिया देख सकेगा।


मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नहीं है आई बैंक की सुविधा
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आई बैंक (Eye bank) की सुविधा नहीं है। आई बैंक खोलने की तैयारी की जा रही है। अगर जिले में किसी का नेत्रदान किया जाता है तो उसे आई कंटेनर के माध्यम से सिम्स आई बैंक के लिए भेज दिया जाता है।

किसी भी व्यक्ति की मौत के छह घंटे बाद परिजन की सहमति से नेत्रदान किया जा सकता है और उसे 72 घंटे तक आई बैंक में रखकर किसी जरूरतमंद को लगाया जा सकता है।


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