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परसा कोल ब्लॉक पर सिंहदेव बोले- हाईकोर्ट का आदेश मैंने भी पढ़ा है, कलक्टर से कहा- बिना ग्रामसभा बुलाए आगे की कार्रवाई अनैतिक

High Court order: जिला पंचायत की सामान्य सभा (General assembly) की बैठक में लगातार दूसरी बार उठा यह मुद्दा, जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने बताया कि हाईकोर्ट ने आखिर क्यों दिया है कोल ब्लॉक (Parsa Coal block) का आदेश, सिंहदेव ने कहा- आखिर खदान प्रभावित ग्रामों (Coal mines effected villages) में दोबारा क्यों नहीं बुलाई जा रही ग्राम सभा

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Parsa Coal block distribution

Adityeshwar Sharan Singhdeo with Rahul Gandhi

अंबिकापुर. High Court Order: एक बार फिर से जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक में परसा कोल ब्लॉक एवं उदयपुर क्षेत्र हेतु प्रस्तावित अन्य कोल उत्खनन को लेकर मामला उठा। यह लगातार दूसरी बार है जब उदयपुर क्षेत्र में कोल उत्खनन एवं आवंटन को लेकर जिला पंचायत के सदस्यों (DDC members) ने सवाल उठाया है। लगभग 3 महीने से धरने पर बैठे ग्रामीणों एवं क्षेत्र में लगातार फैल रहे आक्रोश एवं असंतोष को लेकर जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक में चर्चा हुई। बैठक में मामले पर चर्चा करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष मधु सिंह ने कहा कि जब लोग बोल रहे हैं कि ग्राम सभा से जो पूर्व में अनुमति मिली है, वह फर्जी है और तो फिर क्यों दूसरी ग्राम सभा नहीं बुलाई जा रही है। ग्रामीणों की मांगों को माना जाए, सुना जाए, यही लोकतंत्र और संवैधानिक मर्यादा है।


जिला पंचायत उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंह देव ने इस बैठक में ऑनलाइन शामिल होते हुए अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मैंने उच्च न्यायालय के उस आदेश का भी अध्ययन किया है, जिसका हवाला देकर जिला प्रशासन दोबारा ग्राम सभा नहीं बुलाने की बात करती है।

न्यायालय के पारित आदेश के अध्ययन से यह जानकारी मिली है की बहस के दौरान यह तथ्य रखा गया कि भूमि अधिग्रहण कोल बेयरिंग एक्ट 1957 के माध्यम से किया गया है। कोल बेयरिंग एक्ट के प्रावधानों के अनुसार भूमि अधिग्रहण के लिए ग्रामसभा की अनिवार्यता की आवश्यकता नहीं है, इस कारण उच्च न्यायालय ने ग्रामसभा की वैधता एवं अवैधता पर विचार न करते हुए उस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

जबकि वन अधिकार अधिनियम 2006 के अनुसार वनों के संरक्षण, संवर्धन, उपयोग सहित अन्य अधिकार ग्राम सभा को दिए गए हैं। इसके लिए वन भूमि के डायवर्सन अथवा अन्य कार्य हेतु ग्रामसभा की अनुमति आवश्यक है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामसभा के अवैध प्रस्ताव को मान्य कर कलक्टर सरगुजा द्वारा जारी वन अधिकार कानून के विधिवत पालन प्रमाण-पत्र एवं राज्य सरकार द्वारा जारी वन अधिकारों के निर्धारण, खनन प्रमाण पत्र एवं सहमति के आधार पर भारत सरकार ने वनभूमि के डायवर्सन की अनुमति दी है।

इसके बाद राज्य सरकार ने 6 अप्रैल 2022 को वन भूमि डायवर्सन का अंतिम आदेश पारित किया है। इसे लेकर ग्रामीणों में असंतोष एवं आक्रोश का माहौल दिख रहा है। ऐसी स्थिति में जब कि ग्रामीणों द्वारा उक्त ग्राम सभा के अनुमति को अवैध बताया जा रहा है, तत्काल जिला प्रशासन को चाहिए कि प्रत्येक प्रभावित ग्रामों में पूरे कोरम के साथ ग्राम सभा बुलाकर ग्रामीणों की मंशा एवं उनकी बातों को सुनें।

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जिपं उपाध्यक्ष ने कलक्टर को लिखा पत्र
इस मामले को लेकर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंह देव ने कलक्टर सरगुजा को भी पत्र लिखा है और उच्च न्यायालय के आदेश एवं वन अधिनियम 2006 के अधिकारों को वर्णन करते हुए पुन: ग्राम सभा बुलाए जाने की मांग की है।

पत्र में आदित्येश्वर ने लिखा है कि ग्रामवासियों की पूरे कोरम के साथ ग्रामसभा बुलाए बिना इस विषय पर कोई भी कार्यवाही आगे बढ़ाना अनैतिक है। जब तक ग्राम सभा नहीं होती तब तक पेड़ कटाई सहित विभिन्न गतिविधियां रोक दी जाएं।