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सरगुजा का झेलगी हेल्थ सिस्टम: मैनपाट के मरीजों को नसीब नहीं एंबुलेंस, सुलभ आवागमन एक सपने जैसा

Jhelagi health system: दूरस्थ गांवों की सैकड़ों की आबादी के लिए अब तक कोई भी सरकार नहीं बना पाई सडक़ व पुलिया, दिव्यांग को 12 किलोमीटर झेलगी में ढोकर ले गए परिजन

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सरगुजा का झेलगी हेल्थ सिस्टम: मैनपाट के मरीजों को नसीब नहीं एंबुलेंस, सुलभ आवागमन एक सपने जैसा

Jhelagi health system

अंबिकापुर. मैनपाट के दूरस्थ गांवों में रहने वाली सैकड़ों की आबादी हेतु सुलभ आवागमन एक सपने जैसा हो गया है। ये सालों से शासन-प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। पुल-पुलियों के अभाव में किसी बीमार मरीज को झेलगी (Jhelagi health system) में ढोकर नदियों व पथरीली रास्तों से परिजन के आने-जाने की तस्वीरें अब मैनपाट के लिए आम हो चुकीं हैं, इससे जिम्मेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ता।

अभी कुछ दिन पूर्व एक गर्भवती को परिजनों ने झेलगी में ढोकर घुनघुट्टा नदी पार की थी, अब अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिलने पर एक दिव्यांग ग्रामीण को उसके परिजन द्वारा झेलगी (Jhelagi health system) में ढोकर पैदल ही 12 किलोमीटर घर जाने का मामला सामने आया है।

कुल मिलाकर सिस्टम इतना संवेदनहीन हो चुका है कि ग्रामीणों की गंभीर समस्याएं भी नजर नहीं आती। यहां पूरा हेल्थ सिस्टम झेलगी पर ही बीमार नजर आता है, जिसे ढोने की जरूरत नजर आती है।


बारिश के दिनों में पहुंचविहीन हो जाने वाले मैनपाट के गांव सुपलगा के जूनापारा निवासी ४८ वर्षीय जयनाथ पिता नधिया को उल्टी-दस्त की शिकायत होने पर परिजन ने बीते शनिवार को कमलेश्वरपुर अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां तीन दिन तक इलाज चलने के बाद सोमवार की शाम उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।

जयनाथ एक पैर से दिव्यांग भी है व उल्टी-दस्त की वजह से वह काफी कमजोर भी हो गया था। डिस्चार्ज होने के बाद परिजनों की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वे किराए का वाहन बुक कर उसे घर ले जा सकें।

अस्पताल प्रबंधन ने भी संवेदनहीनता दिखाते हुए परिजन से पूछा तक नहीं कि ग्रामीण को कैसे घर ले जाओगे। गांव के लोग वैसे भी सीधे-साधे होते हैं, इसलिए वे भी वहां से चुपचाप मिट्टी का भार ढोने वाले झेलगी में जयनाथ को बैठाकर पैदल ही अस्पताल से सुपलगा जाने निकल पड़े। (Jhelagi health system)


मछली नदी भी करनी पड़ी पार
कमलेश्वरपुर से सुपलगा की दूरी 12 किलोमीटर है। ऊपर से जयनाथ का घर सुपलगा के जंगल वाले इलाके जूनापारा में है। ऐसे में परिजन उसे कमलेश्वरपुर अस्पताल से झेलगी में ढोते हुए निकले। सबसे बड़ी विडंबना ये रही कि सुपलगी से ठीक पहले पडऩे वाली मछली नदी भी उन्हें पार करनी पड़ी।

इसी नदी की वजह से बारिश के दिनों में सुपलगा गांव पहुंचविहीन हो जाता है। अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जयनाथ व उसके परिजनों को कितनी तकलीफों का सामना करना पड़ा होगा।


पहुंचविहीन गांवों में प्रशासन का अभियान
बारिश के दिनों में मैनपाट के पहुंचविहीन गांवों में मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए प्रशासन द्वारा हडिय़ा तोड़ अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन उसी संवेदनशील गांव का एक व्यक्ति उल्टी-दस्त से पीडि़त होकर अस्पताल पहुंच गया व उसे व परिजनों को सिस्टम (Jhelagi health system) की संवेदनहीनता की वजह से तकलीफों से गुजरना पड़ा।


अस्पताल में तीन एंबुलेंस किस काम के
कमलेश्वरपुर अस्पताल में तीन एंबुलेंस हैं, लेकिन यह मात्र शो पीस बनकर रह गए हैं। जब जरूरतमंदों को ही एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है तो ऐसी सेवा का क्या फायदा। गंभीर मामलों में अस्पताल प्रबंधन की संवेदनहीनता समझ से परे है। बताया जा रहा है कि एंबुलेंस के चालक अक्सर अस्पताल से नदारद रहते हैं।