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सरगुजा की 4 सीटों में ‘नोटा’ था वोटरों की तीसरी पसंद, आप-बसपा व जेसीसीजे को भी पछाड़ा

NOTA: वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में संभाग की सभी 14 सीटों पर कांग्रेस का रहा था कब्जा, भाजपा बनी थी लोगों की दूसरी पसंद

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अंबिकापुर. NOTA: 2018 के विधानसभा चुनाव में सरगुजा संभाग की 14 सीटों में से 4 में कांग्रेस व भाजपा के बाद नोटा वोटरों की तीसरी पसंद थी। इस चुनाव में नोटा ने आप, जकांछ व बसपा जैसी पार्टियों को भी पीछे छोड़ दिया था। नोटा का तीसरे स्थान पर आना अपने आप में चौंकाने वाला था। राष्ट्रीय स्तर की राजनैतिक दलों को छोड़ दें तो क्षत्रपों को भी जनता ने अस्वीकार कर दिया था।


सरगुजा की सियासत में साल 2018 का चुनाव चौंकाने वाला रहा। कांगे्रस ने पहली बार यहां की सभी 14 विधानसभा सीटों पर कब्जा किया था। वहीं संभाग की 4 सीटों सीतापुर, लुंड्रा, कुनकुरी व पत्थलगांव ऐसी सीटें थीं, जहां के वोटरों ने कांग्रेस व भाजपा के बाद नोटा को ज्यादा तरजीह दी थी।

वोटरों ने बसपा, आप, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी जैसी पार्टियों पर भी भरोसा कम ही किया। सीतापुर में नोटा तीसरे स्थान पर रहा। जबकि लुंड्रा में नोटा के बाद निर्दलीय प्रत्याशी सुमित्रा पैंकरा चौथे स्थान पर रहीं थीं।

इसी प्रकार कुनकुरी सीट में बसपा के प्रत्याशी व पत्थलगांव सीट में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी के प्रत्याशी चौथे स्थान पर रहे।

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2 सीटों पर नोटा को मिले 5-5 हजार से ज्यादा वोट
2018 के चुनाव में सीतापुर सीट से कांग्रेस के अमरजीत भगत को 86 हजार 670 जबकि भाजपा के प्रो. गोपाल राम को 50 हजार 533 वोट मिले थे। वहीं नोटा को 5 हजार 189 वोट मिले थे।

इसी प्रकार पत्थलगांव विधानसभा सीट से कांग्रेस के रामपुकार सिंह ठाकुर को 96 हजार 599 जबकि भाजपा के शिवशंकर पैंकरा को 59 हजार 913 वोट मिले थे। यहां से नोटा को 5 हजार 159 वोट मिले थे।

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नोटा को इन बड़ी पार्टियों से भी ज्यादा मिले वोट
लुंड्रा सीट में नोटा को 2 हजार 626 जबकि आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदीप बरवा को 1884 वोट मिले थे। सीतापुर सीट में नोटा को 5 हजार 189, जेसीसीजे को 2495 व आप के अशोक तिर्की को 1680 वोट मिले थे।

कुनकुरी सीट में नोटा को 2 हजार 129, बसपा को 1970 व आप को 1842 वोट मिले थे। इसके अलावा पत्थलगांव सीट से नोटा को 5 हजार 159, जेसीसीजे के एमएस पैंकरा को 3 हजार 915 तथा आप की मीरा तिर्की को 854 वोट वोटरों ने दिए थे। आप की ये प्रत्याशी चुनाव में 7वें स्थान पर रही थीं।


क्या है नोटा
नोटा, नन ऑफ द एबव का शॉर्ट फॉर्म है। निर्वाचन आयोग ने वोटरों के लिए नोटा की शुरुआत वर्ष 2013 में की थी। यदि वोटर्स को पार्टी व प्रत्याशियों में कोई पसंद न हो तो वे ‘नोटा’ को वोट कर सकते हैं। इससे वोट भी बर्बाद नहीं होता है।


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