
प्रधानमंत्री मोदी ने की छत्तीसगढ़ के मन की बात (Photo Patrika)
CG News: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के लिए खास रहा। प्रधानमंत्री ने अपने कार्यक्रम में अंबिकापुर के ‘गार्बेज कैफे’, भारतीय नस्ल के श्वानों की उपलब्धि और बेंगलूरु में इंजीनियर कपिल शर्मा का विशेष उल्लेख किया। शर्मा रायपुर के निवासी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रायपुर के शांतिनगर में मन की बात के 127वें संस्करण का श्रवण किया। इस दौरान उन्होंने कहा, मन की बात देशभर में हो रहे नवाचारी, प्रेरणादायी और जनहितकारी कार्यों को जोड़ने वाला एक विशेष मंच है, जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने वालों प्रयासों को राष्ट्रीय पहचान दिलाता है। पीएम ने अंबिकापुर के गार्बेज कैफे की तारीफ करते हुए कहा, यह ऐसा कैफे हैं, जहां प्लास्टिक कचरा लेकर जाने पर भरपेट खाना खिलाया जाता है।
वर्ष 2019 में अंबिकापुर नगर निगम ने ‘गार्बेज कैफे’ शुरू किया। इसका उद्देश्य था प्लास्टिक प्रदूषण पर लगाम लगाना और गरीबों को भरपेट भोजन उपलब्ध कराना। इस कैफे का नियम बड़ा ही दिलचस्प है। यदि कोई व्यक्ति एसएलआरएम सेंटर में एक किलो प्लास्टिक जमा करने के बाद टोकन लेकर आता है तो उसे बदले में चावल, दाल, दो सब्जियां, रोटी, सलाद और अचार से सजी थाली परोसी जाती है। वहीं आधा किलो प्लास्टिक देने पर समोसा, बड़ा पाव या अन्य नाश्ते जैसी चीजें मिलती हैं। पहले कबाडिय़ों को कचरा सिर्फ दस रुपए किलो में बेचना पड़ता था। अब वे सुबह-सुबह प्लास्टिक इकट्ठा करके गार्बेज कैफे में बच्चों के साथ सम्मानपूर्वक खाना खा लेते हैं।
अंबिकापुर की यह सोच धीरे-धीरे दूसरे राज्यों तक पहुंची। 2019 में दिल्ली के द्वारका इलाके में भी गार्बेज कैफे की शुरुआत हुई, जहां लोग प्लास्टिक जमा कर भोजन पा सकते थे। इसके बाद 2020 में गुजरात के दाहोद जिले में इसी तरह का कैफे खोला गया। यहां आधा किलो प्लास्टिक देने पर चाय या कॉफी दी जाती थी। हाल ही में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट द्वारा की गई समीक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि अंबिकापुर देश का पहला जीरो डंपसाइट शहर बन गया है।
नगर निगम अंबिकापुर में जो एसएलआरएम सेंटर चल रहे हैं। इनमें प्लास्टिक की रिसाइक्लिंग की व्यवस्था उपलब्ध है। गार्बेज कैफे के माध्यम से जो प्लास्टिक प्राप्त होता है, उसको सही तरीके से रिसाइक्लिंग कर दाना बनाकर विक्रय किया जा रहा है।
डीएन कश्यप, आयुक्त, नगर निगम अंबिकापुर
य ह एक ऐसा रेस्टोरेंट है, जहां भोजन की कीमत पैसों से नहीं बल्कि प्लास्टिक के कचरे से चुकाई जाती है। 50 हजार से 3 लाख की आबादी वाले शहरों में सुपर स्वच्छ लीग में देशभर में अव्वल इस शहर का गार्फेज कैफे की अलग पहचान है।
देश के कई बड़े शहरों में आज भी प्लास्टिक का कचरा आसपास हर जगह दिखाई देता है। कभी सड़क किनारे बिखरी थैलियां तो कभी गली-मोहल्लों में पड़ी बोतलें। ये सब न केवल शहर की खूबसूरती बिगाड़ती हैं बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरनाक साबित होती हैं। लेकिन सोचिए यही बेकार प्लास्टिक अगर किसी भूखे इंसान की थाली भरने का जरिया बन जाए तो कितना अच्छा हो। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर में यह सपना हकीकत बनकर काम कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में एक देसी श्वान ने 8 किलो विस्फोटक का पता लगाकर जवानों की जान बचाई। वहीं पीएम बेंगलुरु में इंजीनियर कपिल शर्मा के कामों की तरीफ करते हुए कहा, कपिल की टीम ने बेंगलूरु और आसपास के इलाकों में 40 कु ओं और 6 झीलों को फिर से जिंदा कर दिया है।
Updated on:
27 Oct 2025 09:55 am
Published on:
27 Oct 2025 09:54 am
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