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Shankaracharya Nishchalanand: शंकराचार्य निश्चलानंद बोले- अस्तित्व की रक्षा के लिए जरूरत पड़े तो शस्त्र बल का भी करना चाहिए प्रयोग

Shankaracharya Nishchalanand: तीन दिवसीय प्रवास पर अंबिकापुर पहुंचे शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती, पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही ये बातें

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Shankaracharya Nishchalanand

Shankaracharya Nishchalanand Saraswati

अंबिकापुर. Shankaracharya Nishchalanand: हिन्दू भी केवल अहिंसा के पक्षधर होंगे तो अपने अस्तित्व की रक्षा कैसे कर पाएंगे? आवश्यकता पडऩे पर शस्त्र का प्रयोग करते रहना हैं। सनातन धर्म में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र भी हैं। इसमें शिक्षा, रक्षा, सेवा संतुलित रहे। अस्तित्व की रक्षा के लिए आवश्यकता हो तो शस्त्र बल का भी प्रयोग करना चाहिए। उक्त बातें शुक्रवार को अंबिकापुर स्थित हरिमंगलम में आयोजित दर्शन, दीक्षा एवं संगोष्ठी कार्यक्रम में पत्रकारों से चर्चा के दौरान शंकराचार्य निश्चचलानंद सरस्वती (Shankaracharya Nishchalanand) ने कही।

तीन दिवसीय प्रवास पर अंबिकापुर पहुंचे शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Shankaracharya Nishchalanand) ने धर्म परिवर्तन को लेकर कहा कि सनातन धर्म दर्शन, विज्ञान, व्यवहार तीनों दृष्टियों से परिणूर्ण है। सेवा के नाम पर हिन्दूओं को धर्म परिवर्तन का जघन अपराध चल रहा है और यह कार्य शासन की सहभागिता के कारण हो रही है।

कुछ धर्म विशेष का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि सेवा के नाम इनके द्वारा शोषण किया जा रहा है। सिद्धांतों, आध्यात्म की रक्षा करने से भारत संपन्न होगा। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य के बाद से अब तक सनातन परम्परा को लोगों ने कुचलने का ही प्रयास किया है।

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योग्यता के अनुसार नहीं मिल रही नौकरी

युवाओं द्वारा किए जा रहे आत्महत्या के बारे में उन्होंने (Shankaracharya Nishchalanand) कहा कि आधुनिक शिक्षा में योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिलने के कारण लोग आत्महत्या कर रहे हैं। प्राइवेट कंपनियों में भी नौकरी की होड़ मची हुई है।

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Shankaracharya Nishchalanand: सनातन बोर्ड की आवश्यकता

सनातन बोर्ड के सवाल पर उन्होंने (Shankaracharya Nishchalanand) कहा कि बोर्ड है ही नहीं, चार शंकराचार्य हैं। बोर्ड बनाने की आवश्यकता पहले से ही है। शासन तंत्र इसकी उपयोगिता को समझे। सुसंस्कृति, सुशिक्षित, सुरक्षित, संपन्न, सेवा प्रायिण, स्वस्थ्य, अभिकर्तव्य, समाज की संरचणा यही राजनीति की परिभाषा है।


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