
किम के न्योते को कबूल कर ट्रंप ने दुनिया को दी बड़ी राहत
नई दिल्ली। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच ऐतिहासिक वार्ता हाल ही में कामयाब साबित हुई। तानाशाह किम परमाणु निरस्त्रीकरण पर राजी हो गया है। वहीं उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों को खत्म करने को लेकर एक बड़ा बयान आया है। अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने उम्मीद जता दी 2020 से पहले उत्तर कोरिया परमाणु निरस्त्रीकरण का कार्यक्रम पूरा कर लेगा।
क्या कहा अमरीकी विदेश मंत्री ने?
माइक पोम्पिओ ने कहा कि अमरीका को 2020 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पहला कार्यकाल खत्म होने से पहले परमाणु हथियारों से लैस उत्तर कोरिया के ‘‘ व्यापक परमाणु निरस्त्रीकरण ’’ की उम्मीद है। डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन के बीच महामुलाकात सफल होने के बाद अमरीका पहुंचे पोम्पिओ ने संवाददाताओं से कहा कि उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार को लेकर बातचीत तेजी से बढ़ सकती है और परमाणु निरस्त्रीकरण ‘‘ राष्ट्रपति के पहले कार्यकाल में होने की ’’ पूरी उम्मीद है। साथ ही उन्होंने बताया कि ‘ काफी कार्य बचा हुआ है ’ और ‘‘ हमें उम्मीद है कि ढाई सालों में हम व्यापक परमाणु निरस्त्रीकरण का टारगेट हासिल कर सकते हैं। ’’ पोम्पिओ ने उत्तर कोरिया से सहयोग की उम्मीद भी जताई। इससे पहले ट्रंप ने वापस वाशिंगटन पहुंचते ही ट्वीट किया , ‘‘ अभी - अभी पहुंचा हूं , लेकिन मेरे कार्यभार संभालने के दिन के मुकाबले अब हर कोई अधिक सुरक्षित महसूस कर रहा है ’’।
बंद होगा अमरीका और दक्षिण कोरिया के बीच सैन्य अभ्यास!
12 जून को ट्रंप और किम के बीच ऐतिहासिक बैठक हुई। जिसमें कई समझौते हुए। किम ने ट्रंप से परमाणु हथियारों को नष्ट करने और परमाणु मिसाइल परीक्षण न करने का वादा किया है।खबर है कि अमरीका और दक्षिण कोरिया के बीच सैन्य अभ्यास खत्म होगा। पोम्पिओ ने कहा है कि उत्तर कोरिया को पहले इस शर्त को पूरा करना होगा। शर्त पूरा होने तक उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध जारी रहेगा। बता दें कि सैन्य अभ्यास खत्म करने के ट्रंप की इस टिप्पणी दक्षिण कोरियाई कट्टरपंथियों के कान खड़े हो गए हैं। दक्षिण कोरिया में इस बात की चर्चा होने लगी है कि ट्रंप कोरियाई प्रायद्वीप में तैनात अपने 30,000 सैनिकों को वापस बुला लेंगे। खबर है कि उत्तर कोरिया और अमरीका के बीच सैन्य अभ्यास खत्म हो जाएगा। बता दें कि अमरीका और दक्षिण कोरिया सुरक्षा के मामले में सहयोगी देश हैं। करीब 30,000 अमरीकी सैनिक दक्षिण कोरिया में तैनात हैं। वे उत्तर कोरिया से उसे बचाने के लिए वहां रखे गए हैं, जिसने 1950 में आक्रमण किया था। दोनों देश हर साल संयुक्त सैन्य अभ्यास करते रहे हैं, जो उत्तर कोरिया के लिए हमेशा से चिंता का विषय रहा है। उत्तर कोरिया लंबे समय से युद्ध अभ्यास बंद करने का अनुरोध करता रहा है और खुद भी बार-बार मिसाइल परीक्षण करता रहा है, जिससे संबंधों में तनाव आया और स्थितियां इतनी बिगड़ गईं।
Published on:
14 Jun 2018 10:16 am
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