चीन में स्टेट काउंसिल ताइवान अफेयर्स ऑफिस ने इस निमंत्रण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक गलती है और अमरीका इसे बार-बार दोहरा रहा है। अमरीका और ताइवान के बीच किसी भी तरह के आधिकारिक बातचीत का चीन विरोध करता है। दरअसल, चीन अमरीका और ताइवान के बीच किसी भी आधिकारिक बातचीत या संबंध के खिलाफ है।
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वहीं, अमरीकी विदेश मंत्रालय ने अगले महीने 9-10 दिसंबर के बीच होने वाले इस सम्मेलन में 110 देशों के भागीदारों को आधिकारिक तौर पर निमंत्रण भेजा है। यह सम्मेलन वर्चुअल आयोजित किया जाएगा। तमाम देशों के साथ-साथ अमरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने लोकतंत्र सम्मेलन में ताइवान को भी आमंत्रित किया है। हालांकि, अमरीका ताइवान को एक देश के तौर पर मान्यता भी नहीं देता है। वहीं इस सम्मेलन में पाकिस्तान को तो आमंत्रित किया गया है मगर तुर्की को निमंत्रण नहीं दिया गया। अमरीका के इस कदम से भी चीन नाराज है।
चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, ताइवान अफेयर्स ऑफिस की प्रवक्ता जू फेंगलियान ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अमरीका ने लोकतंत्र विषय पर आधारित जिस सम्मेलन में ताइवान को भी बुलाया है वह एक बड़ी गलती है। अमरीका और ताइवान के बीच किसी भी तरह के आधिकारिक बातचीत का चीन विरोध करता है।
उन्होंने यह भी कहा कि अमरीकी सरकार ‘वन चाइना पॉलिसी’ को मानता आया है और ताइवान के सवाल पर अमरीका और चीन ने आधिकारिक तौर पर तीन बार संयुक्त विज्ञप्तियां जारी की हैं। बीते 16 नवंबर को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन के बीच एक वर्चुअल सम्मेलन हुआ था। हालांकि, दोनों ही देशों ने इस बैठक को बहुत महत्वपूर्ण नहीं माना था।
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इस बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चेतावनी देते हुए कहा था कि कुछ अमरीकी चीन को नियंत्रित करने के लिए ताइवान का उपयोग कर रहे हैं। यह आग के साथ खेलने जैसा है और जो भी आग से खेलेगा वो जलेगा।