scriptसट्टेबाजों का दावाः अमरीकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने लिखा ट्रंप के खिलाफ अखबार में लेख | Claims of bookmakers: Vice President wrote in newspaper against Trump | Patrika News

सट्टेबाजों का दावाः अमरीकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने लिखा ट्रंप के खिलाफ अखबार में लेख

locationनई दिल्लीPublished: Sep 07, 2018 09:01:44 pm

Submitted by:

mangal yadav

अमरीका के एक प्रमुख अखबार में ट्रंप के खिलाफ छपे लेख के बाद सट्टेबाजों ने लेखक के नाम को लेकर सट्टा लगाना शुरू कर दिया है।

वाशिंगटनः अमरीका के एक अखबार में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ लेख लिखने के मामले में बवाल जारी है। बुधवार को प्रकाशित लेख को लिखने वाले के नाम को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। जिन नेताओं और अधिकारियों पर शक जताया जा रहा है उनमें अमरीकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस का नाम सबसे आगे हैं। एक प्रमुख अमरीकी वेबसाइट ने कयास लगाया है कि देश की राजनीति में जल्द ही बड़ा बदलाव देखा जा सकता है। वेबसाइट के मुताबिक लेख लिखने वालों के नाम पर सट्टा भी लगाया जा रहा है। सट्टेबाजों ने उपराष्ट्रपति माइक पेंस पर सबसे अधिक सट्टा लगाया है। वेबसाइट ने लेख लिखने वाले की पहचान के लिए 7200 (100 डॉलर) रुपए की शर्त लगाई है। शर्त विजेता को दोगुनी रकम दी जाएगी। अब तक करीब 3.60 लाख रुपए तक की शर्त लगाई जा चुकी है।

इन पर भी लगा है दांव
ट्रंप के खिलाफ लेख लिखने वाले के नाम उजागर को लेकर माइक पेंस के बाद शिक्षा मंत्री बेट्से डेवॉस और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो पर दांव लगाया गया है। सट्टेबाजों की निगाह में इन दोनों का नाम दूसरे स्थान पर है जबकि तीसरे स्थान पर सेनाध्यक्ष जॉन केली और वित्त सचिव स्टीवन मनुचिन सट्टेबाजों की पसंद बने हुए हैं।

ये है पूरा मामला
अमरीका के एक प्रमुख अखबार में छपे एक लेख में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कड़ी निंदा की गई है। लेख लिखने वाले अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर दावा किया है कि सरकार में काफी विरोध की स्थिति है और देश को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बचाने का अधिकारियों की ओर से प्रयास किया जा रहा है। इस लेख में राष्ट्रपति ट्रंप को अनैतिक शख्स करार दिया गया है और उन्हें लोकतंत्र के स्वास्थ्य को खराब करने वाला बताया गया है। अमेरिका की एक सीनेट सदस्य ने कहा है कि अगर शीर्ष अधिकारी मानते हैं कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने पद के लिए अयोग्य हैं तो यह समय उन्हें हटाने के लिए संवैधानिक शक्तियों के इस्तेमाल करने का है।

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