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G-4 के विदेश मंत्रियों ने की सुरक्षा परिषद में सुधार की समीक्षा

भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान के विदेश मंत्रियों ने बैठक कर संयुक्त राष्ट्र में सुधार प्रगति की समीक्षा की।

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G-4 Foreign Ministers

G-4 के विदेश मंत्रियों ने की सुरक्षा परिषद में सुधार की समीक्षा

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर जी-4 देशों के विदेश मंत्रियों ने बैठक की। मीटिंग में भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार प्रगति की समीक्षा की। इस दौरान भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान के विदेश मंत्रियों ने चिंता जताई है कि सुरक्षा परिषद में सुधार का एजेंडा करीब 40 वर्षो से लंबित है और यह अभी भी ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, उन्होंने परिषद में 'सुधार के रास्ते' के बारे में चर्चा की और अपने राजनयिकों को 'सुधार को आगे बढ़ाने को लेकर विचार करने' के लिए कहा, जिसे अंतरसरकारी वार्ता(आईजीएन) के नाम से जाना जाता है।

एक-दूसरे का समर्थन करने पर सहमति

जी-4 के चार देशों ने परिषद में सुधार और स्थायी सीट के लिए परिषद के विस्तार में एक-दूसरे को समर्थन देने की बात कही। बैठक में उपस्थित विदेश मंत्रियों में सुषमा स्वराज के अलावा ब्राजील के विदेश मंत्री अलोयसिओ न्यूनेस फरेरा, जर्मनी के हिको मास और जापान के तारो कोने थे। सुधार की दिशा में प्रगति के समय क्रम को देखते हुए, उन्होंने कहा कि 2005 में हुए विश्व सम्मेलन में सभी देशों के प्रमुखों ने एकस्वर से परिषद में 'तत्काल सुधार' का समर्थन किया था। लेकिन सुधार को समर्थन करने वाले संयुक्त राष्ट्र सदस्यों के बहुमत के बावजूद, आईजीएन में 2009 में इसके लांच के बाद गत 10 वर्षो में कोई प्रगति नहीं हुई है।

पाकिस्तान और इटली ने अटकाया हुआ है रोड़ा

संयुक्त बयान के अनुसार, " जी-4 के विदेश मंत्रियों ने परिषद में जल्द सुधार की जरूरत पर जोर दिया, जिसमें इसकी वैधता, प्रभावीकरण और प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाना शामिल है।" संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश सदस्यों ने सुधार का समर्थन किया है, लेकिन आईजीएन अभी तक वार्ता विषय को भी सामने लाने में विफल रहा है, जोकि वार्ता का आधार होता। इसका कुछ देशों जैसे पाकिस्तान और इटली ने विरोध किया है, जिन्होंने जोर दिया है कि एजेंडा दस्तावेज बनाए जाने से पहले सुधार पर एक आम सहमति होनी चाहिए।