
नई दिल्ली। व्यापार वार्ता के लिए बातचीत की हामी भरने के बावजूद अमरीका और चीन के बीच का तनाव कम होता नजर नहीं आ रहा है। दोनों देशों के बीच अविश्वास का ही नतीजा है कि अमरीका अपने यहां चीनी शोधकर्ताओं पर अंकुश लगाने का विचार कर रहा है। ट्रंप प्रशासन एक ऐसा कानून लाने की तैयारी कर रहा है, जिसके तहत अमरीकी युनिवर्सिटीज में रिसर्च करने वाले चीनी शोधकर्ताओं पर रोक लग सकेगी। इसके पीछे अमरीका का तर्क यह है कि चीनी नागरिक अमरीकी संस्थानों से बोद्धिक रहस्य प्राप्त कर सकते हैं।
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वाइट हाउस में चल रही चर्चा
अमरीकी मीडिया के अनुसार वाइट हाउस एक ऐसा कानून लाने पर चर्चा कर रहा है, जिससे अमरीका में चीनी नागरिकों की पहुंच को लिमिडेट कर दिया जाए। इस कानून के तहत चीनी शोधकर्ताओं से जुड़े कानूनों व वीजा संबंधी नियमों को सख्त करना है। बता दें कि अमरीका की ओर से ये कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उठाए जा रहे हैं। यही वजह है कि अमरीका जासूसी के डर से चीनी नागरिकों की अमरीकी प्रयोगशालाओं तक पहुंच कम करना चाहता है।
कानून से प्रभावित होंगे ये लोग
दरअसल,अमरीका के विभिन्न संस्थानों में हर साल एक मिलियन से अधिक विदेशी छात्र स्टडी करने आते हैं, जिनमें से एक-तिहाई छात्र अकेले चीन से आते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अमरीका की ओर से लाए जाने वाले इस कानून से स्नातक छात्रों, शोधकर्ता (पोस्ट्डॉक्टरल) और प्रौद्योगिकी कंपनियों के कर्मचारियों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
अमरीका-चीन निवेशक फोरम का आयोजन
बता दें कि अमरीका और चीन के निवेशक शुक्रवार को अमरीकी शहर ओमाहा में मिलेंगे। इस दौरान दोनों देशों के निवेशक सहयोग अवसरों पर चर्चा करेंगे। ओमाहा अरबपति निवेशक वॉरेन बफेट का होमटाउन भी है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार याहू फाइनेंस, चाइना जनरल चैंबर ऑफ कॉमर्स और एशियन कल्चर सेंटर यूस के साथ साझेदारी में नेब्रास्का के ओमाहा में प्रथम अमेरिकी-चीनी निवेशक फोरम का आयोजन कर रहा है। फोरम में दोनों देशों के बीच कारोबार और निवेश अवसरों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके साथ ही किस तरह दोनों देश एक स्थाई और स्वस्थ द्विपक्षीय संबंध बनाए रख सकते हैं, यह भी चर्चा की विशय रहेगा।
Published on:
01 May 2018 02:59 pm
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