
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट: ओजोन परत दोबरा अपने आकार में पहुंच रही, छिद्र भर रहे
वॉशिंगटन। वायु प्रदूषण के कारण ओजोन लेयर की परतों पर मंडरा रहा खतरा विश्व के लिए चिंता का विषय है। इसका नुकसान धरती के लिए विनाशकारी है। हालांकि नई रिपोर्ट में इसके बारे में सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि धरती की सुरक्षात्मक ओजोन परत एयरोसॉल स्प्रे और शीतलकों (कूलन्ट) से हुए नुकसान से उबर रही है। गौरतलब है कि ओजोन परत 1970 के दशक के बाद से महीन होती गई थी। वैज्ञानिकों ने इस खतरे के बारे में सूचित किया और ओजोन को कमजोर करने वाले रसायनों का धीरे -धीरे पूरी दुनिया में इस्तेमाल खत्म किया गया।
ओजोन छिद्र 2060 तक गायब हो जाना चाहिए
इक्वाडोर के क्विटो में सोमवार को हुए एक कार्यक्रम में वैज्ञानिको के मुताबिक, इसका परिणाम यह होगा कि 2030 तक ऊत्तरी गोलार्ध के ऊपर ओजोन की ऊपरी परत पूरी तरह दुरुस्त हो जाएगी। अंटार्टिक ओजोन छिद्र 2060 तक गायब हो जाना चाहिए। वहीं दक्षिणी गोलार्ध में यह प्रक्रिया कुछ धीमी है और उसकी ओजोन परत सदी के मध्य तक ठीक हो पाएगी।
पराबैंगनी किरणें त्वचा के कैंसर के लिए जिम्मेदार
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के प्रमुख पृथ्वी वैज्ञानिक के अनुसार अगर ओजोन को क्षीण बनाने वाले तत्व बढ़ जाते हैं तो यहां भयावह प्रभाव देखने को मिल सकते थे। हमने उसे रोक दिया।'ओजोन पृथ्वी के वायुमंडल की वह परत है जो हमारे ग्रह को पराबैंगनी प्रकाश (यूवी किरणों) से बचाती है। पराबैंगनी किरणें त्वचा के कैंसर,फसलों को नुकसान और अन्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार होती है।
Published on:
06 Nov 2018 02:29 pm
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