अब डोनाल्ड ट्रंप ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए शीर्ष चुनाव अधिकारी को बर्खास्त कर दिया है। दरअसल, शीर्ष चुनाव अधिकारी क्रिस क्रेब्स ( Chris Krebs Has Been Terminated ) ने डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव में धांधली और मतदान में फ्रॉड करने के दावों को खारिज कर दिया था।
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अब बड़ी कार्रवाई करते हुए ट्रंप ने कहा कि साइबर सिक्योरिटी एंड इन्फ्ररास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी (सिसा) के प्रमुख क्रिस क्रेब्स ने मतदान और अमरीकी चुनावों को लेकर ‘बेहद भेदभावपूर्ण’ टिप्पणी की थी, इस कारण उन्हें बर्खास्त कर दिया है।
बता दें कि इससे पहले पिछले सप्ताह इस संस्था के सहायक निदेशक ब्रायन वेयर ने भी कुर्सी छोड़ दी थी। माना जा रहा है कि व्हाइट हाउस के दबाव में उनसे अपने पद से इस्तीफा दिया है।
अमरीकी इतिहास का सबसे सुरक्षित चुनाव: चुनाव अधिकारी
आपको बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए 3 नवंबर को हुए मतदान के बाद आए चुनाव परिणाम में जो बिडेन को 306 इलेक्टोरल वोट मिले, जबकि डोनाल्ड ट्रंप को 232 मत ही मिले। इसके बाद से ट्रंप ने इस परिणाम को मानने से इनकार कर दिया और चुनाव में धांधली का आरोप लगाया। ट्रंप ने कहा कि वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे, हालांकि अपने दावे के समर्थन में वे अब तक कोई सबूत पेश नहीं कर सके हैं।
ट्रंप के दावों के विपरित अमरीकी चुनाव आयोग और चुनाव अधिकारी ने राष्ट्रपति चुनाव 2020 को अमरीका के इतिहास में सबसे सुरक्षित चुनाव बताया। शीर्ष चुनाव अधिकारी क्रिस क्रेब्स की संस्था ने भी चुनाव में किसी गड़बड़ी की सुचनाओं को खारिज कर दिया था।
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उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बिना अपनी वेबसाइट पर लिखा ‘हमें पता है कि हमारे चुनाव को लेकर कई बेबुनियाद दावे किए जा रहे हैं, लेकिन हम आपको आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमें अपने चुनावों की सुरक्षा और सत्यनिष्ठा पर पूरा भरोसा है और आपको भी करना चाहिए।
क्रिस क्रेब्स बोले- कोई अफसोस नहीं
बर्खास्त किए जाने के बाद क्रिस क्रेब्स ने कहा कि उन्हें कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने मंगलवार एक बार फिर से ट्वीट करते हुए ट्रंप पर निशाना साधा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कुछ राज्यों में उनके प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन के पक्ष में वोट डाल दिए गए।
क्रिस क्रेब ने ट्वीट करते हुए लिखा ‘चुनाव प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ के आरोपों के बारे में 59 चुनाव सुरक्षा विशेषज्ञों की एक राय है कि ऐसे हर उस मामले में जिनकी हमें जानकारी है, ये दावे या तो निराधार हैं या तकनीकी तौर पर उनका कोई मतलब नहीं समझा जाता’।