
नई दिल्ली।
अफगानिस्तान पर कब्जा किए हुए तालिबान को एक माह का वक्त बीत चुका है और इस चरमपंथी संगठन ने अंतरिम सरकार बना ली है। इसमें अभी तक खुले तौर पर दिख रहा था कि तालिबान की मदद पाकिस्तान और चीन ने की है। वहीं, अब सामने आ रहा है कि यह अमरीका का भी गुप्त एजेंडा था।
अब अमरीका ने अफगानिस्तान को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अमरीका ने अफगानिस्तान में तालिबान की मदद करने का ऐलान किया है। हालांकि, यह मदद अफगानिस्तान के लोगों के नाम पर दी जा रही है। अमरीका के मुताबिक, वह अफगानिस्तान को 64 मिलियन डॉलर यानी करीब 470 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देगा। इसके अलावा, धीरे-धीरे यह मदद और बढ़ाई जाएगी।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में अमरीका की राजदूत लिंडा थॉम्पसन ग्रीनफील्ड ने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति बेहद गंभीर है। ग्रीनफील्ड ने जिनेवा में अफगानिस्तान पर आयोजित मानवीय सम्मेलन में तालिबान से उसकी प्रतिबद्धताएं बनाए रखने का आह्वान किया और तालिबान की ओर से सहायता वितरण में बाधा बनने संबंधी खबरों का जिक्र किया।
यही नहीं, तालिबान को आर्थिक मदद के नाम पर मोटी रकम अमरीका के अलावा संयुक्त राष्ट्र से भी मिलेगी। संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में मानवीय अभियान का समर्थन करने के लिए दो करोड़ अमरीकी डॉलर देने का ऐलान किया है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस के अनुसार, युद्धग्रस्त देश में लोग दशकों की पीड़ा और असुरक्षा के बाद शायद अपने सबसे खराब समय का सामना कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अब उनके साथ खड़े होने का समय है।
अफगानिस्तान में आबादी का बड़ा हिस्सा तालिबान के आने से पहले भी मानवीय मदद पर निर्भर था। जब से तालिबान आया है मदद पर निर्भर लोगों की संख्या बढ़ गई है। देश में काम और धंधे ठप पड़ गए हैं। साथ ही नकदी की भी कमी हो गई है, जिसकी वजह से लोग अपने घरों का सामान बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं हैं और सामान रखकर खाने का सामान बाजार से ला रहे हैं।
Published on:
14 Sept 2021 07:56 am
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