अमेठी. पिछले करीब चार दिनों से 70 वर्षीय इसराजी का पार्थिव शव घर के दरवाजे पर रखा है। ठंड मौसम के बावजूद शव को रोकने के लिए बर्फ भी लगाई गई है। बावजूद इसके अब शव से दुर्गन्ध आने लगी है। रिश्तेदार और आस पड़ोस के लोगों का तांता भी लगा है। लेकिन शव का अंतिम संस्कार नही हो रहा। वजह है इकलौते बेटे राजेश को पुलिस ने दो माह पूर्व हत्या के एक मामले में जेल भेज दिया है। परिजनो की मांग है कि प्रशासन उसे पैरोल दे ताकि वो मां को मुखाग्नि दे सके।
मुंशीगंज थाना क्षेत्र के बंदोइया गांव का मामला
मामला केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अमेठी के मुंशीगंज थाना क्षेत्र के बंदोइया गांव का है। मृतका की पुत्री सुधा तिवारी का कहना है कि मेरा भाई जो दोषी नही है उसे दोषी बनाकर जेल भेज दिया गया है। मेरी माता जी चार दिन हो गया है उनकी मृत्यु हो गई है। कोई अंतिम संस्कार करने के लिए नही है, उनका एक ही बेटा है। हम लोग यही चाहते हैं उनको मुखाग्नि उनका खुद का बेटा दे। लेकिन प्रशासन नही मान रहा है हम लोग बहुत प्रार्थना बहुत विनती किए हैं। लेकिन कोई सुन नही रहा है, यहां तक की डीएम भी नही सुन रहे हैं।
शासकीय अधिवक्ता बोले अदालत को है पैरोल देने का अधिकार
बता दें कि 29-30 अक्टूबर की रात मुंशीगंज थाना क्षेत्र के बंदोइया गांव में दलित महिला ग्राम प्रधान के पति अर्जुन की जलाकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने इस मामले में 30 अक्टूबर को ही राजेश मिश्रा को अरेस्ट कर जेल भेजा था। इस मामले पर वरिष्ठ शासकीय अधिवक्ता दीवानी न्यायालय सुलतानपुर विवेक विक्रम सिंह ने बताया कि डीएम को किसी अभियुक्त को पैरोल देने का अधिकार नही है। उन्होंने बताया कि अगर अभियुक्त सजायाफ्ता मुल्जिम है तो वो शासन का मुल्जिम है। शासन को रिपोर्ट भेजकर डीएम पैरोल दे सकता है। लेकिन अगर अभियुक्त सजायाफ्ता नहीं है तो जिस अदालत ने उसे जेल भेजा है वही अदालत उसे पैरोल दे सकती है।