आगरा के विकास भवन में सोमवार, 8 सितंबर 2025 को कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य की अध्यक्षता में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। यह बैठक चर्चा का विषय इसलिए बन गई क्योंकि इस बैठक में कोई भी जिम्मेदार अफसर शामिल नहीं हुआ।
आगरा : आगरा के विकास भवन में सोमवार, 8 सितंबर 2025 को कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य की अध्यक्षता में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। यह बैठक उस समय चर्चा का विषय बन गई, जब कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इसमें शामिल नहीं हुआ। सुबह 11 बजे समय पर पहुंचीं मंत्री ने करीब एक घंटे तक इंतजार किया, लेकिन अधिकारियों की अनुपस्थिति से नाराज होकर वे बैठक छोड़कर चली गईं। गुस्से में उन्होंने कहा, 'आगरा के अधिकारी किसानों की समस्याएं सुनने को तैयार नहीं हैं। मैं इसकी लिखित शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से करूंगी।'
इस घटना से नाराज किसानों ने जमकर हंगामा किया और चेतावनी दी कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे पहले की तरह धरना-प्रदर्शन और आत्मदाह जैसे कठोर कदम उठाएंगे।
किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने बताया कि किसानों की समस्याओं, विशेषकर डीएपी (खाद) वितरण में अनियमितताओं को लेकर लंबे समय से बैठक की मांग की जा रही थी। पहले दो बार यह बैठक रद्द हो चुकी थी। आखिरकार, 8 सितंबर को सुबह 11 बजे विकास भवन में बैठक तय हुई। बेबी रानी मौर्य और कई किसान निर्धारित समय पर मीटिंग हॉल में पहुंचे, लेकिन संबंधित विभागों जैसे डीडीओ और डीपीओ के कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं आए। एक घंटे तक इंतजार के बाद मंत्री ने नाराजगी जताते हुए बैठक रद्द कर दी।
किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने अधिकारियों के रवैये पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा, 'अधिकारियों का यह व्यवहार साफ दर्शाता है कि वे न तो किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हैं और न ही जनप्रतिनिधियों का सम्मान करते हैं। आगरा जिले में 102 सोसाइटियां हैं, लेकिन डीएपी का वितरण अनियमित है। कहीं 200 कट्टे भेजे गए, तो कहीं बहुत कम। यह सब एक सोची-समझी साजिश है।'
उन्होंने आरोप लगाया कि IAS और PCS अधिकारी एकजुट होकर किसानों के खिलाफ 'गेम' कर रहे हैं। चाहर ने चेतावनी दी, 'अधिकारी किसानों को बर्बाद करके मोटा पैसा कमाना चाहते हैं। अगर जिला प्रशासन ने हमारी बात नहीं सुनी, तो पहले की तरह धरना, प्रदर्शन और आत्मदाह जैसे आंदोलन फिर से शुरू होंगे।'
जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने मामले पर सफाई देते हुए कहा, 'बैठक का स्थान पहले सर्किट हाउस तय था, लेकिन अचानक इसे विकास भवन में स्थानांतरित किया गया। इस बदलाव की जानकारी समय पर नहीं मिलने से कुछ अधिकारी सर्किट हाउस पहुंच गए, जबकि कुछ विकास भवन नहीं आ सके। बैठक में डीडीओ और डीपीओ को शामिल होना था।' हालांकि, यह स्पष्टीकरण न तो मंत्री को संतुष्ट कर सका और न ही किसानों का गुस्सा शांत कर पाया।
यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि किसानों के बीच बढ़ते असंतोष को भी सामने लाती है। अधिकारियों की अनुपस्थिति ने न केवल कैबिनेट मंत्री का अपमान किया, बल्कि किसानों के धैर्य की भी परीक्षा ली। बेबी रानी मौर्य ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इसकी शिकायत करेंगी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगी।
किसानों ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे उग्र आंदोलन के लिए तैयार हैं। यह घटना आगरा में प्रशासन और जनता के बीच बढ़ते तनाव का संकेत है, जिसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।