यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुए भीषण दुर्घटना में 13 यात्रियों की जिंदा जलकर मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इसी घटना में हमीरपुर के गुलजारी लाल की दशा और व्यथा ने लोगों को झकझोर दिया।
Yamuna Expressway Accident: मंगलवार की सुबह अभी आई भी नहीं थी। सूरज निकलने से पहले यमुना एक्सप्रेस-वे पर घना कोहरा पसरा हुआ था। सड़क पर चल रही गाड़ियां धुंध के साए में जैसे रास्ता टटोल रही थीं। तभी एक पल में सब कुछ बदल गया। तेज धमाका, आग की लपटें और चीख-पुकार… मथुरा के पास हुआ यह हादसा कई परिवारों के लिए जिंदगी का सबसे भयावह सवेरा बन गया।
यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुई इस भीषण दुर्घटना में 13 यात्रियों की जिंदा जलकर मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। कई यात्री बुरी तरह झुलस गए। हादसे की खबर मिलते ही पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुंचे। धुएं और आग के बीच रेस्क्यू शुरू हुआ। जो जहां मिला, उसे निकालकर मथुरा और आगरा के अस्पतालों में भेजा गया।
गुलजारी का डर देख सहम गए लोग
लेकिन राहत की इस दौड़ में एक और पीड़ा सामने आई। अपनों की पहचान। जले हुए शव, घायल चेहरे और अधूरी जानकारियों के बीच प्रशासन भी सभी मृतकों और घायलों की शिनाख्त नहीं कर पा रहा था। बस से बच निकले लोग अपने सहयात्रियों को ढूंढते फिर रहे थे। दोपहर होते-होते कई परिवार घटनास्थल और अस्पतालों के चक्कर काटने लगे।
इन्हीं भीड़ और बेचैनी के बीच हमें गुलजारी लाल मिले। हमीरपुर के राठ से आए गुलजारी लाल की आंखें अपने मोबाइल की स्क्रीन पर टिकी थीं। वह बार-बार एक तस्वीर दिखाते, फिर उम्मीद से किसी से पूछते “इन्हें कहीं देखा क्या?” तस्वीर में एक महिला मुस्कुरा रही थी। वह थीं उनकी भाभी पार्वती देवी।
बच्चों के साथ दिल्ली जा रहीं थीं गुलजारी की भाभी
गुलजारी लाल की भाभी पार्वती (45) अपने दो बच्चों के साथ दिल्ली जा रही थीं। जिस बस में वे सवार थीं, वही हादसे का शिकार हो गई। हादसे के बाद दोनों बच्चे तो किसी तरह बाहर निकाल लिए गए, लेकिन पार्वती का कोई पता नहीं चला। बच्चों ने किसी के फोन से चाचा को हादसे की सूचना दी, और तभी से गुलजारी लाल भाभी की तलाश में यहां भटक रहे थे।
पोस्टमॉर्टम हाउस से अस्पताल और अस्पताल से घटनास्थल तक। हर जगह वही सवाल, वही तस्वीर। गुलजारी लाल बताते हैं कि बच्चों ने कहा, मम्मी का सिर खिड़की में फंस गया था। तभी शीशा टूटकर गिरा। इसके बाद क्या हुआ, किसी को नहीं पता। कुछ लोगों ने कहा कि महिला को बाहर निकालकर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां भी पार्वती नहीं मिलीं।
पोस्टमार्टम हॉउस में थर्रा रही थी आवाज
पोस्टमॉर्टम हाउस में हालत और भी भयावह थी। जले हुए शव, पहचान में न आने वाले चेहरे। गुलजारी लाल की आवाज भर्रा जाती है। पहचान ही नहीं हो पा रही… कोई कुछ साफ नहीं बता रहा। कहते-कहते वह अपनी आंखें पोंछ लेते हैं। शब्द रुक जाते हैं, बस आंखों में डर और अनकही आशंका रह जाती है। गुलजारी की हालत देखकर कई लोगों के आखों में आंसू आ गए। गुलजारी लाल बार बार किसी से मोबाइल पर यही बात करते हुए दिखे कि बच्चे बच गए हैं लेकिन भाभी नहीं मिल रही हैं।