यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन 09 अगस्त 2012 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। 165 किलोमीटर लंबे और 6 लेन वाला यह सुपर हाईवे ग्रेटर नोएडा और आगरा को जोड़ता है। इसका निर्माण कार्य तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में सन् 2007 में शुरू हुआ था। इस परियोजना पर 128.39 अरब रुपये खर्च हुए थे। इस एक्सप्रेस वे पर हल्के वाहनों के लिए कम से कम स्पीड लिमिट 100 किलोमीटर प्रति घंटा है, जबकि भारी वाहनों के लिए ये 60 किलोमीटर प्रति घंटा है। इस तरह मात्र डेढ़ घंटे में ग्रेटर नोएडा से आगरा की दूरी तय की जा सकती है। वहीं रफ्तार पर नजर रखने के लिए यमुना एक्सप्रेस वे पर मोबाइल रडार लगाए हैं, जिनकी सहायता से हर माह हजारों वाहन चालकों के चालान काटे जा रहे हैं। साथ ही हर पांच किलोमीटर पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, ताकि दुर्घटना होने पर जल्द से जल्द पीड़ितों की मदद की जा सके। यह भी बता दें कि यमुना एक्सप्रेस वे के निर्माण की घोषणा सबसे पहले सन् 2001 में की गई थी, लेकिन सत्ता परिवर्तन होने के बाद यह महत्वपूर्ण योजना 2003 में ठंडे बस्ते में चली गई। इसके बाद फिर से उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार बनी तो 2007 में इसे दोबारा शुरू किया गया और वर्ष 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका उद्घाटन किया। यमुना एक्सप्रेस वे से जेवर, अलीगढ़, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, पलवल, मथुरा और आगरा जाने वाले लोगों सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है।
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