जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में न्यूरो सर्जन डॉ. सुशील आचार्य एवं डॉ. गोगराज ने एक जटिल ऑपरेशन कर मरीज की जान भी बचाई। गर्दन के पीछे सर्जरी का अस्पताल में पहला ऑपरेशन बताया है।
अजमेर। जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में न्यूरो सर्जन डॉ. सुशील आचार्य एवं डॉ. गोगराज ने एक जटिल ऑपरेशन कर मरीज की जान भी बचाई। गर्दन के पीछे सर्जरी का अस्पताल में पहला ऑपरेशन बताया है।
अस्पताल में 33 वर्षीय एक मरीज 20 सितबर को भर्ती हुआ, जिसका 2019 में सड़क दुर्घटना में गर्दन पर चोट आने से चारों हाथ पैरों में लकवा आ गया था जिसका किसी निजी अस्पताल में ऑपरेशन हुआ जिसके बाद मरीज के लकवे में कुछ सुधार आया। ऑपरेशन के कुछ समय बाद ही मरीज को पुन: दोनों हाथ पैरों में एवं अंगुलियों में लकवे की शिकायत होने लगी।जिस पर मरीज को जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में भर्ती किया गया एवं जांच की गई।
मरीज गर्दन की नस में पानी भर जाने से नस में दबाव की शिकायत पाई गई। जो कि पिछले ऑपरेशन के दबाव के कारण बन गया जिसके लिए गर्दन के पीछे से चीरा लगाकर गर्दन की नस का बहुत जटिल ऑपरेशन करने की जानकारी परिजन को दी। ऑपरेशन इतना जटिल है कि ऑपरेशन के बाद मरीज के चारों हाथ पैरों में लकवा आने एवं मरीज की जान जाने का भी खतरा है।
27 सितबर को ऑपरेशन किया गया। जिसमें मरीज की गर्दन में 6 स्क्रू लगाकर फिक्स किया गया एवं गर्दन की नस में पानी की गांठ में नली डाली गई। ऑपरेशन के बाद मरीज के हाथ पैरों की ताकत में सुधार आने लगा, एंव ऑपरेशन के बाद मरीज स्वस्थ है एंव खतरे से बाहर है।
प्रधानाचार्य डॉ. अनिल सामरिया ने बताया कि टीम में डॉ. सुशील आचार्य, डॉ. गोगराज, रेजिडेंटडॉ. कमलदीप खत्री, डॉ. पियूष मोदी, डॉ. कुशल, डॉ. सचिन एवं निश्चेतना विभाग के डॉ. वीना माथूर, डॉ. मैना, डॉ. दिपिका, डॉ. प्रदीप, डॉ. कुलदीप, डॉ. कुशांक आदि का सहयोग रहा। उन्होंने बताया कि मां योजना में ऑपरेशन नि:शुल्क किया गया।