हाथो से दिव्यांग हिस्ट्रीशीटर को कोर्ट ने हर सोमवार पुलिस थाने में दो घंटे सफाई करने की सजा दी है।
हाथो से दिव्यांग हिस्ट्रीशीटर को कोर्ट ने हर सोमवार पुलिस थाने में दो घंटे सफाई करने की सजा दी है। मामला अलवर जिले का है। जहां जेल में बंद हिस्ट्रीशीटर पंकज उर्फ गोलू ने कोर्ट से पैरोल लेने के लिए अपनी दिव्यांगता का हवाला दिया तो न्यायालय ने उसे राहत तो दी, लेकिन साथ ही एक अनोखी सजा भी सुना दी। अदालत ने पंकज को पैरोल देते हुए आदेश दिया कि वह हर सोमवार अलवर के सदर थाना परिसर में दो घंटे सफाई करेगा। कोर्ट का यह फैसला चर्चा का विषय बन गया है।
सदर थाना क्षेत्र के कटोरी वाला तिबारा निवासी पंकज पर लूटपाट और अपराध से जुड़े कई मामले दर्ज हैं। वह पुलिस की हिस्ट्रीशीटर सूची में शामिल है। पंकज दोनों हाथों से दिव्यांग है और इसी आधार पर उसने कोर्ट से पैरोल की मांग की थी। अदालत ने उसकी स्थिति को देखते हुए पैरोल तो स्वीकृत कर ली, लेकिन इसके साथ सामाजिक जिम्मेदारी का बोझ भी उसके कंधों पर डाल दिया।
दिव्यांगता का दावा करने वाले इस हिस्ट्रीशीटर की वास्तविकता तब सामने आई जब अदालत को पता चला कि पंकज बखूबी कार भी चलाता है। मामले पर संदेह होने के बाद कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि आरोपी को सामने लाकर उससे कार चलवाकर देखा जाए, ताकि उसके दावों की सच्चाई पता चल सके। पुलिस ने पंकज से कार स्टार्ट करवाकर चलवाई। जिसे देखकर पुलिसकर्मी भी दंग रह गए। दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद पंकज ने कार को ऐसे चलाया जैसे किसी प्रोफेशनल ड्राइवर की तरह सड़क पर दौड़ा रहा हो।
पंकज ने पूछताछ में बताया कि ढाई साल की उम्र में उसके ऊपर हाई वोल्टेज बिजली का तार गिर गया था, जिससे उसके दोनों हाथ जलकर खराब हो गए थे। उसी हादसे के बाद से वह दिव्यांग है। बावजूद इसके उसने धीरे-धीरे पैर और कंधों की मदद से कार चलाना सीख लिया। पुलिस के मुताबिक अदालत ने जो शर्त रखी है, वह सजा के साथ-साथ समाजसेवा का अवसर भी है। हर सोमवार सदर थाना परिसर में उसे दो घंटे सफाई करनी होगी और यह शर्त पूरी करने पर ही उसकी पैरोल बनी रहेगी।