Alwar Blue Drum Case: राजस्थान पुलिस ने लक्ष्मी और जितेंद्र को पकड़ने की कोशिश की तो दोनों भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन पीछा करने के बाद उन्हें पकड़ लिया गया।
Alwar Blue Drum Case: अलवर। राजस्थान के खैरथल-तिजारा जिले के किशनगढ़ बास में हंसराम उर्फ सूरज सिंह का शव नीले ड्रम में मिलने के एक दिन बाद ही पुलिस ने मामले का खुलासा कर दिया। मामले में पुलिस ने पड़ताल की तो सामने आया कि मृतक हंसराम की पत्नी लक्ष्मी ने अपने प्रेमी मकान मालिक के बेटे जितेंद्र के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी।
मामले में पुलिस ने मृतक हंसराम की पत्नी लक्ष्मी (31) और उसके प्रेमी जितेंद्र शर्मा (36) को अलवर जिले के रामगढ़ क्षेत्र के अलावड़ा गांव के एक ईंट भट्टे से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बताया कि उन्हें किशनगढ़ बास लाया गया और पूछताछ के बाद उन्होंने अपना अपराध कबूल कर लिया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने बताया कि विवाहित दंपति के तीन बच्चे भी सुरक्षित मिल गए हैं।
पुलिस ने बताया कि लक्ष्मी और जितेंद्र रविवार को अलावड़ा गांव के ईंट भट्टे पर काम की तलाश में आए थे। उनके साथ तीन बच्चे भी थे। भट्टे पर मौजूद कुछ लोगों को शक हुआ और उन्होंने पुलिस को सूचना दी। जब पुलिस ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की तो दोनों भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन पीछा करने के बाद उन्हें पकड़ लिया गया। खैरथल-तिजारा के एसपी मनीष चौधरी ने बताया कि लक्ष्मी और उसके मृतक पति हंसराम के तीनों बच्चों को उनके रिश्तेदारों को सौंप दिया गया है।
हंसराम के परिवार के आने के बाद उसके शव का पोस्टमॉर्टम एक मेडिकल बोर्ड द्वारा किया गया। पुलिस से सूचना मिलने पर हंसराम के छोटे भाई गौतम सोमवार को शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) से किशनगढ़ बास पहुंचे। गौतम ने बताया कि लगभग चार माह पहले, उनका भाई हंसराम और भाभी लक्ष्मी अपने बच्चों के साथ शाहजहांपुर से किशनगढ़ बास में एक ईंट-भट्ठे पर काम करने आए थे। गौतम के अनुसार उनकी भाभी का व्यवहार ठीक नहीं था।
किशनगढ़ बास आने के बाद उन्होंने वीडियो (रील) भी बनाना शुरू कर दिया। जिसके कारण परिवार में अक्सर बहस होती रहती थी। गौतम ने बताया कि उन्होंने आखिरी बार हंसराम से 9 अगस्त को बात की थी। उस समय हंसराम ने बताया था कि वह खैरथल में काम करना जारी रखेंगे।
पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि हंसराम और जितेंद्र खैरथल-तिजारा से करीब 35 किलोमीटर दूर भिंडूसी गांव में एक ईंट-भट्टे पर काम करते थे। दोनों अक्सर साथ खाते-पीते थे। कभी-कभी शराब भी पीते थे। वहीं से जितेंद्र और हंसराम की पत्नी लक्ष्मी करीब आ गए।
जब भट्टे का काम बंद हुआ तो जितेंद्र उन्हें अपने घर किराए पर लेकर आया। जितेंद्र ने अपने परिवार से भी हंसराम और उसकी पत्नी लक्ष्मी का नाम छिपाया। उसने घरवालों को बताया कि किराएदार का नाम सूरज है और पत्नी का नाम सुनीता। लेकिन जब लाश मिली तो हंसराम का असली आधार कार्ड हाथ लगा और सारा सच सामने आ गया।
लक्ष्मी और जितेंद्र के बीच भट्टे पर काम करते समय से ही अफेयर चल रहा था। प्रेम प्रसंग में रोड़ा बनने पर लक्ष्मी ने प्रेमी के साथ मिलकर पति को मौत के घाट उतार दिया। शव को किचन में नीले ड्रम में छिपा दिया और नमक डालकर चादर से ढक दिया।
जिस नीले ड्रम में शव को छिपाया गया वह मकान मालिक से सात दिन पहले ही मांगा गया था। पुलिस ने बताया कि लक्ष्मी ने खुद मकान मालिक से पानी रखने के लिए 7 दिन पहले ड्रम उधार लिया था।
उसने कहा था कि पानी तीन दिन में केवल एक बार आता है। इसलिए ड्रम चाहिए। पुलिस के अनुसार, मेरठ के नीले ड्रम हत्याकांड की तरह ही आरोपियों ने हंसराम का तकिए से मुंह दबाकर हत्या कर दी।