मानसून की पहली बारिश ने ही अस्पताल प्रशासन के दावों की पोल खोल दी है। शहर में शुक्रवार को हुई 33 मिमी बारिश में ही जिला अस्पताल जलमग्न हो गया। अस्पताल परिसर पानी का तालाब नजर आया।
अलवर.
मानसून की पहली बारिश ने ही अस्पताल प्रशासन के दावों की पोल खोल दी है। शहर में शुक्रवार को हुई 33 मिमी बारिश में ही जिला अस्पताल जलमग्न हो गया। अस्पताल परिसर पानी का तालाब नजर आया। इस दौरान मरीजों को अस्पताल की इमरजेंसी और वार्डों तक जाने के लिए परेशान होना पड़ा। यही नहीं बारिश का पानी जमा होने से अस्पताल परिसर में बनी नाली और फर्श के गड्ढे भी दिखाई नहीं दे रहे थे। गनीमत रही कि इस बीच कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई। बारिश के 15 घंटे बाद सुबह 11 बजे तक अस्पताल परिसर में पानी भरा रहा। बाद में नगर निगम की टीम ने पानी की निकासी कराई। खास बात यह भी है कि हर साल बारिश के दिनों में यही हालात रहने के बाद भी प्रशासन की ओर से अभी तक कोई कदम नहीं उठाए जा सके।
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी खराब पड़ा
करीब 2 साल पहले लाखों रुपए खर्च कर अस्पताल में वाटर हार्वेस्टिंग बनवाया गया था। इसके लिए अस्पताल के आईएमए हॉल परिसर के अंदर और बाहर दो टैंक बनवाए गए थे। ताकि बारिश के पानी को नालियों में व्यर्थ बहने से रोका जा सके। दूसरा अस्पताल परिसर में बारिश का पानी भरने से रोका जा सके। इससे भू-जल स्तर में भी सुधार की बात की गई, लेकिन इस सिस्टम पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद देखरेख पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। इसके कारण टैंक कचरे से अटे पड़े हैं और हर साल बारिश का पानी व्यर्थ बह रहा है।
मरीजों को परेशानी, संक्रमण का भी खतरा
मुर्दाघर के समीप पानी भरने से सारा बायोवेस्ट और नालियों का कचरा बारिश के पानी के साथ पूरे परिसर में फैल जाता है। ऐसे में संक्रमण का भी खतरा रहता है।
शहर में भी बारिश से बिगड़े हालात
शहर में शुक्रवार को हुई बारिश से शनिवार को हालात खराब रहे। एसएमडी चौराहा पर नालियों का कीचड़ स्लिप लेन में फैल गया। इससे कई वाहन चालक फिसलते-फिसलते बचे। हाेप सर्कस पर भी नालियों का कचरा सड़क पर फैला रहा, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं दिखा।