एनसीआर में ग्रैप-4 पाबंदी लागू होने से राजस्थान के कई जिलों में कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। कई कंपनियां श्रमिकों की संख्या घटाने की तैयारी में हैं।
अलवर। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ग्रैप-4 की पाबंदी लागू होने से अलवर, खैरथल-तिजारा और कोटपूतली-बहरोड़ के करीब 8 हजार से ज्यादा उद्योगों का 25 से 40 प्रतिशत कारोबार प्रभावित हुआ है। नीमराणा और भिवाड़ी में विदेशी कंपनियों के साथ हुए एमओयू पर भी इसका असर नजर आ रहा है। विदेशी कंपनियां कारोबार करने से डर रही हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि भिवाड़ी का एक्यूआई ज्यादा है, लेकिन नीमराणा और अलवर का एक्यूआइ 125 से कम होने के बावजूद यहां के सभी उद्योगों को एनसीआर की पाबंदियों की मार झेलनी पड़ रही है। उद्योग संगठनों के अनुसार, इस क्षेत्र में लाखों श्रमिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उद्योगों पर निर्भर हैं। उत्पादन घटने से कई शिफ्ट बंद हो चुकी हैं।
ओवरटाइम करने वाले श्रमिकों को नुकसान हो रहा है। ठेका श्रमिकों को काम से रोके जाने जैसी स्थिति बन रही है। कई कंपनियों ने श्रमिकों की संख्या कम करने की तैयारी कर ली है।
उद्योग संगठनों ने मांग की है कि एनसीआर में एक्यूआइ के आधार पर जोन बनाए जाने चाहिए, जिसके अनुसार प्रदूषण संबंधी पाबंदियां लागू हों। इसमें कम प्रदूषण वाले इलाकों को राहत देते हुए ग्रैप की पाबंदी से मुक्त रखा जाना चाहिए। इससे कम एक्यूआइ वाले जोन के उद्योगों में काम प्रभावित नहीं होगा।
'नीमराणा में एक हजार से ज्यादा कंपनियां हैं। इनका 35 प्रतिशत कारोबार प्रभावित हुआ है। यहां एनसीआर का कोई फायदा नहीं मिल रहा है और पाबंदियां पूरी तरह झेलनी पड़ रही हैं।' -कृष्ण गोपाल कौशिक, अध्यक्ष, नीमराणा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
'भिवाड़ी में ग्रैप की पाबंदी से करीब 25 प्रतिशत कारोबार प्रभावित हो रहा है। यहां धूल-मिट्टी और ट्रैफिक का प्रदूषण है। कंपनियों से कोई प्रदूषण नहीं है।' -प्रवीण लांबा, अध्यक्ष, भिवाड़ी इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन