गूगलकोटा गांव में आयोजित विवाह समारोह के दौरान एक प्रेरक उदाहरण सामने आया। दूल्हे और उसके पिता ने टीके में दिए जा रहे 11 लाख लेने से इनकार कर केवल एक रुपया और नारियल स्वीकार किया।
शाहजहांपुर। नीमराणा उपखंड क्षेत्र व शाहजहांपुर थाना क्षेत्र के गांव गूगलकोटा में अजमेर जिले की अराई तहसील के मंडावरिया गांव से आई बारात में दुल्हन पक्ष की ओर से टीका रस्म के दौरान दूल्हे को 11 लाख रुपए नकद देने की पेशकश की गई। इस पर शिक्षक दूल्हा करणसिंह राठौड़ और उनके पिता संजयसिंह राठौड़ ने दहेज को अभिशाप मानते हुए यह राशि लेने से इनकार कर दिया और नेग स्वरूप केवल एक रुपया व नारियल ही स्वीकार किया।
कुतीना सरपंच रविंद्रसिंह चौहान ने बताया कि दुल्हन रेणुका कंवर बचपन में ही मां को खो देने के बाद अपने ननिहाल गूगलकोटा गांव में ही पली-बढ़ी और शिक्षा प्राप्त की। ननिहाल पक्ष की ओर से गूगलकोटा गांव में ही विवाह संपन्न कराया गया। रेणुका कंवर ने अपने मामा पवन सिंह, दिनेश सिंह, महेश सिंह तथा नाना रामेश्वरसिंह चौहान के संरक्षण में रहकर बीकॉम और बीएड की पढ़ाई की। दुल्हन का मूल गांव बागावास अहीर, कोटपूतली है।
दूल्हे करणसिंह राठौड़ ने स्पेशल बीएड किया हुआ है और वर्तमान में मूक-बधिरों के विद्यालय, निवाई (जिला टोंक) में अध्यापन कार्य कर रहे हैं। अजमेर जिले के मंडावरिया गांव से बारात गूगलकोटा पहुंचने पर ग्रामीणों की मौजूदगी में दुल्हन पक्ष ने रस्म के तौर पर 11 लाख देने चाहे, लेकिन दूल्हे के पिता संजयसिंह राठौड़ और परिजनों ने इसे लेने से मना कर दिया तथा रस्म में केवल एक रुपया और नारियल ही स्वीकार किया।
वर पक्ष के दहेज विरोधी विचारों की उपस्थित ग्रामीणों ने जमकर सराहना की। दूल्हे के पिता संजयसिंह राठौड़ अजमेर में एक निजी कॉलेज में प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं, जबकि दुल्हन रेणुका के पिता विनोद सिंह व्यवसाय करते हैं। दहेज में दिए जाने वाले 11 लाख रुपए लौटाने की यह पहल क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। इस दौरान कुतीना सरपंच रविंद्रसिंह चौहान, गूगलकोटा सरपंच श्यामसुंदर यादव, साधू सिंह, बृजपाल सिंह, जयवीर सिंह, उपसरपंच रतन सिंह, जयपाल सिंह, विक्रम सिंह सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने इस कदम की सराहना की।