Pahalgam terror attack: आतंकी हमले के दौरान घटनास्थल पर मौजूद थे नजाकत अली, अपनी जान की परवाह किए बिना बचाई 11 सैलानियों की जान, 11 साल से ठंड के मौसम में कपड़ा बेचने आ रहे हैं अंबिकापुर
अंबिकापुर. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले (Pahalgam terror attack) के चश्मदीद गवाह नज़ाकत अली इन दिनों अंबिकापुर में हैं। नज़ाकत पिछले 11 सालों से काश्मीर के गर्म कपड़ों का व्यापार करने ठंड के मौसम में अंबिकापुर आते हैं, जबकि कश्मीर में वे टूरिज्म के क्षेत्र में काम करते हैं। आतंकी हमले के दौरान नज़ाकत अली घटनास्थल पर मौजूद थे। उन्होंने बताया कि जब आतंकियों ने हमला किया तो उनका भाई समेत 27 सैलानी मारे गए थे। नज़ाकत अली ने अपनी जान की परवाह किए बगैर 11 सैलानियों की जान बचाई।
नजाकत अली का कहना है कि पहलगाम (Pahalgam terror attack) की वो घटना उनके जीवन का सबसे काला दिन था, जिसे वे कभी नहीं भूल सकते। उन्होंने हमले से पहले काश्मीर का माहौल भी साझा किया। उन्होंने कहा कि जब कश्मीर में पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हो रही थी, सैलानियों की संख्या बढ़ रही थी, कश्मीर में सालाना करोड़ों रुपये का व्यापार हो रहा था।
लेकिन आतंकी हमले (Pahalgam terror attack) के बाद कश्मीर की परिस्थितियां एकदम बदल गईं हैं। सैलानियों की संख्या में भारी कमी आने के साथ ही होटल्स और खाने-पीने के दामों में भी गिरावट आई।
नज़ाकत का कहना है कि आतंकी हमले (Pahalgam terror attack) ने कश्मीर के पर्यटन उद्योग को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है और अब कश्मीर को फिर से संभलने में समय लगेगा। उन्होंने बताया कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था और कश्मीरी जनता दोनों को पुनर्निर्माण की जरूरत है।