Amroha infant death case : जन्म के सिर्फ 26 दिन बाद ही एक मासूम की जिंदगी खत्म हो गई। गजरौला थाना क्षेत्र के सिहाली जागीर गांव में शनिवार रात माता-पिता के साथ बेड पर सो रहे नवजात बच्चे की करवट बदलने से दबकर मौत हो गई।
अमरोहा : जन्म के सिर्फ 26 दिन बाद ही एक मासूम की जिंदगी खत्म हो गई। गजरौला थाना क्षेत्र के सिहाली जागीर गांव में शनिवार रात माता-पिता के साथ बेड पर सो रहे नवजात बच्चे की करवट बदलने से दबकर मौत हो गई। सुबह दूध पिलाने के लिए मां ने जब बच्चे को हिलाया तो वह कोई हरकत नहीं कर रहा था। चीख-पुकार मच गई। अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
मृतक बच्चे की पहचान सूफियान के रूप में हुई है। उसके पिता सद्दाम अब्बासी (25) पौधों की नर्सरी चलाते हैं। परिवार का घर कच्चा है। सद्दाम की शादी एक साल पहले आसमा से हुई थी। 10 नवंबर को आसमा ने बेटे को जन्म दिया था। जन्म के समय सूफियान को सांस लेने में दिक्कत हुई थी, इसलिए उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। दो दिन बाद परिवार उसे घर ले आया, लेकिन बाद में बच्चे को पीलिया हो गया।
सद्दाम ने बताया, 'हमने बेड के बीच में बच्चे को सुलाया था। मैं और पत्नी उसके अगल-बगल लेटे थे। रात में पता नहीं कब करवट बदली और बच्चा दब गया। सुबह आसमा दूध गर्म करके लाई और बच्चे को पिलाने की कोशिश की। बच्चे में कोई हरकत नहीं देखकर वह चीख पड़ी। मैं उठा तो दोनों ने बच्चे को हिलाया-डुलाया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। तुरंत उसे गजरौला सीएचसी ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।'
इकलौते बेटे की मौत की खबर सुनते ही सद्दाम और आसमा फूट-फूटकर रोने लगे। गम में डूबे दोनों ने अस्पताल में ही एक-दूसरे पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए झगड़ा शुरू कर दिया। परिजनों ने किसी तरह समझा-बुझाकर उन्हें शांत कराया। घर लौटने पर मां आसमा बच्चे के कपड़े और खिलौने देखकर बार-बार रो पड़ीं।
बाल रोग विशेषज्ञ बताते हैं, 'नवजात शिशु बेहद नाजुक होते हैं। माता-पिता के साथ एक ही बेड पर सोना उनके लिए खतरनाक हो सकता है। करवट बदलने या गहरी नींद में बच्चा दब सकता है। हमेशा बच्चे के लिए अलग क्रिब या सुरक्षित बिस्तर का इस्तेमाल करें। बेड पर अतिरिक्त तकिए, भारी कंबल या खिलौने न रखें। रात में दूध पिलाने के लिए अलग से उठकर बच्चे को गोद में लें। ऐसी सावधानी से कई हादसे रोके जा सकते हैं।'