Saphala Ekadashi 2025: पौष मास की कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी को भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत, पूजा और विष्णु नाम जप से असफल कार्य भी सफल होने लगते हैं। सरल उपायों जैसे पीपल के पत्ते, हल्दी से ‘श्री’ लेखन और पीली मिठाई चढ़ाने से जीवन में रुकावटें दूर होकर सफलता व सौभाग्य मिलता है। अगले दिन द्वादशी तिथि में ब्राह्मण भोजन और दक्षिणा से व्रत पूर्ण माना जाता है।
Saphala Ekadashi 2025: सफला एकादशी पौष मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली अत्यंत शुभ तिथि है। मान्यता है कि इस व्रत को विधि–विधान से करने पर कोई भी रुका हुआ कार्य सफल होने लगता है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और मन की इच्छाएं पूर्ण होने लगती हैं। इस साल सफला एकादशी 15 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी।
सफला एकादशी सोमवार, दिसम्बर 15, 2025 को
एकादशी तिथि प्रारम्भ - दिसम्बर 14, 2025 को 06:49 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त - दिसम्बर 15, 2025 को 09:19 पी एम बजे
पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 07:07 ए एम से 09:11 ए एम
-प्रभात में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
-अपने उद्देश्य—जिस कार्य को सफल बनाना चाहते हैं—उसका संकल्प लें।
-भगवान विष्णु की धूप, दीप, पंचामृत से पूजा करें।
-नारियल, सुपारी, लौंग, आंवला आदि अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है।
-एकादशी के दिन केवल फलाहार करें और अगले दिन द्वादशी में ब्राह्मण भोजन कराकर व्रत का पारायण करें।
पीपल का एक साफ पत्ता लें। हल्दी से उस पर ‘श्री’ लिखें। पत्ते पर पीली मिठाई, एक सुपारी, एक इलायची और दो लौंग रखें। अपनी समस्या को मन में बोलें या छोटे कागज़ पर लिखकर पत्ते पर रखें। सामने रखकर भगवान विष्णु के 108 नामों का जाप करें। इसके बाद यह पत्ता पीपल के वृक्ष के नीचे रख आएं। वहीं एक घी का दीपक जलाकर मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करें। यह उपाय नौकरी, व्यापार, पारिवारिक बाधाओं और मानसिक चिंताओं को दूर करने में सहायक माना गया है।
सफला एकादशी पौष महीने में आती है और कई भक्त इसे रुकने, मन को शांत करने और नए लक्ष्य तय करने के दिन के तौर पर देखते हैं। बहुत से लोगों के लिए, एकादशी सिर्फ़ व्रत रखने के बारे में नहीं है — यह अच्छी किस्मत को बुलाने, पुरानी चिंताओं को दूर करने और हल्के दिल से फिर से शुरुआत करने के बारे में है। भक्तों का मानना है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से शांति मिलती है, समझ बढ़ती है और धीरे-धीरे उन्हें सही फ़ैसलों की ओर ले जाती है।