Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में कार या बाइक खरीदना शुभ है या अशुभ? जानें शास्त्रों और ज्योतिषियों की राय, पितृपक्ष में वाहन खरीदने के नियम और नवरात्रि-दशहरे में गाड़ी क्यों लेना चाहिए?
Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष 2025 की शुरुआत 7 सितंबर हो गई है जो 21 सितंबर तक चलेगा। हिंदू धर्म में इस अवधि का खास महत्व होता है। यह 16 दिन पूर्वजों को समर्पित माने जाते हैं, जिनमें लोग तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य करके अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
इस दौरान अक्सर लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या पितृपक्ष में नई गाड़ी, घर या अन्य कीमती सामान खरीदा जा सकता है? आइए जानते हैं शास्त्रों और ज्योतिषियों की राय।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष का समय पूर्वजों की याद और श्रद्धा के लिए होता है। यह काल भौतिक सुख-सुविधाओं या नए कार्यों की शुरुआत के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस अवधि में कार, बाइक, घर, जमीन, आभूषण या नए कपड़े खरीदने से बचना चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष लग सकता है जिससे परिवार में आर्थिक दिक्कतें, बीमारी या मानसिक अशांति जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
हालांकि, ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि अगर पहले से गाड़ी बुक की गई है या स्टॉक लिमिटेड है और डिलीवरी टालना संभव नहीं है तो आप शुभ मुहूर्त देखकर वाहन खरीद सकते हैं। इसके लिए पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण और दान-पुण्य करना जरूरी माना गया है।
इस साल पितृपक्ष के दौरान 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा भी पड़ रही है। परंपरा के अनुसार यह दिन मशीन, औजार और वाहनों की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। बहुत से लोग इस दिन नई गाड़ी की डिलीवरी लेना पसंद करते हैं। लेकिन चूंकि यह पितृपक्ष के बीच में आ रहा है इसलिए ज्योतिषियों का सुझाव है कि वाहन लेने से पहले सुबह स्नान कर पितरों के नाम तर्पण करें और ब्राह्मणों को दान दें। इससे पितृ दोष का असर कम हो सकता है।
शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दिनों में बड़ा निवेश करने से बचना ही उचित है। यदि संभव हो तो नई कार या बाइक खरीदने के लिए नवरात्रि या दशहरे का इंतजार करना चाहिए। ये दिन बेहद शुभ माने जाते हैं और वाहन खरीदने के लिए सर्वोत्तम समय होते हैं।
निष्कर्ष यही है कि पितृपक्ष में गाड़ी या अन्य कीमती सामान खरीदना आमतौर पर अशुभ माना जाता है। लेकिन अगर बहुत आवश्यक हो तो विश्वकर्मा पूजा जैसे विशेष दिन पर पितरों की पूजा और दान के साथ यह कार्य किया जा सकता है।
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