31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मेवाड़ का गौरव: उदयपुर के गोगुंदा निवासी युवक ने कबाड़ से बनाई सुपर मोटर, 10 मिनट चार्ज में 300 KM दौड़ेगी बाइक

300 KM Range Electric Bike: कबाड़ से जुगाड़? चिराग ने बाइक के पुराने पार्ट्स से बनाई हाईटेक मोटर। 10 मिनट चार्ज में 300 किमी रेंज का दावा। जानें क्या है पूरी तकनीक।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Rahul Yadav

Dec 31, 2025

300 KM Range Electric Bike in India

300 KM Range Electric Bike in India (Representational Image: Freepik)

300 KM Range Electric Bike in India: पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम आम आदमी को रुला रहे हैं और इलेक्ट्रिक गाड़ियां (EV) इसलिए आम नहीं हो पा रहीं क्योंकि वे महंगी हैं और उन्हें चार्ज करने में घंटों का समय लगता है। आम आदमी इसी उलझन में फंसा हुआ है। लेकिन उदयपुर की घाटियों के बीच बसे एक छोटे से गांव से निकले युवक ने इस बड़ी समस्या का ऐसा समाधान खोजने की दिशा में कदम बढ़ाया है, जिसने तकनीकी जानकारों का ध्यान खींचा है।

मिलिए चिराग से। वे उदयपुर जिले की गोगुंदा तहसील के विस्मा गांव के निवासी हैं। चिराग ने किसी हाई-फाई लैब में नहीं, बल्कि अपने घर पर पुराने और स्क्रैप पार्ट्स के जरिए एक नई मोटर तकनीक पर काम किया है, जो आने वाले समय में इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में उपयोगी साबित हो सकती है।

दावा और हकीकत

चिराग की तैयार की गई मोटर की सबसे बड़ी खासियत इसकी क्विक चार्जिंग क्षमता को लेकर किया गया दावा है। जहां सामान्य इलेक्ट्रिक गाड़ियां चार्ज होने में काफी समय लेती हैं, वहीं चिराग का कहना है कि उनकी विकसित मोटर तकनीक भविष्य में ऐसी इलेक्ट्रिक बाइक को संभव बना सकती है, जो महज 10 मिनट की चार्जिंग में लगभग 300 किलोमीटर तक की दूरी तय करने में सक्षम हो। फिलहाल यह तकनीक प्रोटोटाइप स्तर पर है और इसके दावों का स्वतंत्र तकनीकी परीक्षण और प्रमाणन होना बाकी है।

कबाड़ से किया करिश्मा

कहानी थोड़ी फिल्मी लगती है, लेकिन इसकी बुनियाद मेहनत और प्रयोग पर टिकी है। चिराग उदयपुर में एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे। वहीं एक दोस्त से बातचीत के दौरान उन्हें ई-व्हीकल सेक्टर में कुछ नया करने का विचार आया। साधारण परिवार से होने के कारण संसाधन सीमित थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। बाजार से मोटरसाइकिलों के पुराने और बेकार पार्ट्स जुटाए, घर के एक कोने को ही अपनी प्रयोगशाला बनाया और लगातार परीक्षण शुरू किए। कई असफलताओं के बाद जब मोटर की शुरुआती टेस्टिंग की गई, तो परिणाम उत्साहजनक रहे।

जुगाड़ नहीं, तकनीकी प्रयोग

यह सिर्फ देसी जुगाड़ नहीं, बल्कि एक तकनीकी प्रयोग है जिस पर अब संस्थागत स्तर पर काम आगे बढ़ रहा है। खबर के मुताबिक, चिराग के इस इनोवेशन को देश के कुछ प्रमुख इन्क्यूबेशन सेंटर्स से मार्गदर्शन मिला है। एसटीपी पुणे (STP Pune), आईसी-पिनैकल और राजस्थान सरकार की पहल आई स्टार्ट राजस्थान (iStart Rajasthan) से वे जुड़े हैं। मोटर के कुछ अहम पार्ट्स और एमवीपी (MVP) विकसित करने के लिए चिराग बेंगलुरु भी गए, जहां उन्हें तकनीकी सलाह और सहयोग मिला। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक क्विक चार्जिंग के क्षेत्र में आगे चलकर उपयोगी साबित हो सकती है, हालांकि अभी इसे व्यावसायिक स्तर पर लाने से पहले कई तकनीकी और सुरक्षा परीक्षण जरूरी हैं।

मेवाड़ के इस युवा ने यह साबित कर दिया है कि अगर विजन साफ हो और सीखने की लगन हो, तो सीमित संसाधनों के बीच भी नवाचार की मजबूत नींव रखी जा सकती है।