Ayodhya में दीपोत्सव ने आस्था और अर्थव्यवस्था का ऐसा संगम रचा, जिसने इतिहास में नई मिसाल दर्ज कर दी। पांच दिन में पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने रामलला के दर्शन किए और करोड़ों दीपों की रोशनी के बीच स्थानीय व्यापारियों की कमाई में जबरदस्त इजाफा हुआ। छोटी दुकानों से लेकर होटलों तक, हर चेहरे पर खुशहाली की चमक दिखाई दी।
Ayodhya Deepotsav: रामनगरी अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन इस बार केवल धार्मिक या सांस्कृतिक दृष्टि से ही सफल नहीं रहा, बल्कि इसने स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नई उड़ान दी है। पांच दिनों में पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने श्री रामलला के दर्शन किए, जबकि शहर में कारोबार ने कई बड़े रिकॉर्ड तोड़ दिए। होटल उद्योग से लेकर स्ट्रीट वेंडर्स तक, हर वर्ग की जेब खुशियों से भर गई। करोड़ों की आर्थिक गतिविधियों ने इस आयोजन की सफलता पर मुहर लगा दी।
16 अक्टूबर से शुरू हुआ दीपोत्सव जब 22 अक्टूबर को अपनी चमक बिखेरता रहा, उस दौरान अयोध्या में लगभग आठ लाख लोग पहुंचे। सरयू तट पर जलते करोड़ों दीयों ने जहां विश्व कीर्तिमान स्थापित किया, वहीं इस आयोजन ने अयोध्या को स्थानीय अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड वृद्धि का भी तोहफा दिया। अर्थशास्त्री प्रो. विनोद श्रीवास्तव बताते हैं कि दीपोत्सव ने अयोध्या को आर्थिक दृष्टि से अभूतपूर्व गति दी है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में लगभग पांच करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रवाह हुआ है। यह सिर्फ शुरुआत है, आने वाले समय में धार्मिक पर्यटन अयोध्या की आर्थिक रीढ़ बनेगा।
अयोध्या में उत्सव के दौरान ठहरने की जगह खोजना मुश्किल हो गया कि
व्यापारी संगठनों के अनुसार सिर्फ आतिथ्य सेवा से ही करोड़ों की आय दर्ज की गई।
इन सभी क्षेत्रों में हजारों युवाओं को अस्थायी रोजगार मिला। विशेषज्ञों का मानना है कि जब पर्यटन स्थायी होगा, तो यह रोजगार स्थायी रूप से बढ़ेगा।
इन व्यवस्थाओं से अयोध्या ने विश्व पर्यटन के स्तर पर खुद को सिद्ध किया।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार राम मंदिर और ऐसे महा-आयोजन मिलकर अयोध्या को धार्मिक पर्यटन की विश्व राजधानी बना रहे हैं।