MP News: लाड़ली बहना योजना में तकनीकी गड़बड़ियों से ग्रामीण महिलाओं की मुश्किलें बढ़ीं। पोर्टल में गलत आयु दर्ज होने से हजारों पात्र बहनों की किस्तें बिना सूचना रोक दी गईं।
Ladli Behna Yojana: महिलाओं को आर्थिक संबल देने के उद्देश्य से शुरु की गई लाड़ली बहना योजना अब खुद अनेक बहनों की चिंता का कारण बन रही है। योजना की शुरुआत में जिन महिलाओं को नियमित किस्तें मिल रही थीं, वे अब अचानक लाभ से वंचित हो गई हैं। खास बात यह है कि इनमें अधिकांश महिलाएं अभी भी योजना के मापदंडों के अनुसार 'पात्र' हैं, फिर भी पोर्टल में गलत आयु दर्ज होने से उन्हें अपात्र मान लिया गया। (mp news)
लाड़ली बहना योजना का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना था। लेकिन आज स्थिति यह है कि तकनीकी त्रुटियों और दस्तावेजों की कमी के कारण वास्तव में पात्र महिलाएं संघर्ष कर रही हैं। सरकार यदि आयु संशोधन और दस्तावेज सत्यापन के लिए विशेष अभियान चलाए तो हजारों ग्रामीण महिलाओं को फिर से राहत मिल सकती है। ग्रामीण महिलाओं की एक ही अपील।
बड़वानी के मेणीमाता निवासी बालीबाई रमेश, शकुंतला बाई बारका, बानू बाई सरपिया और कविता बाई सहित कई महिलाओं का कहना है कि गांव के हर फलिये में 20-25 बहनें ऐसी हैं जिनका पैसा बंद हो गया है। पहले तीन-चार किस्त मिली थी, लेकिन अब कोई सूचना दिए बिना रोक दी। (mp news)
मेणीमाता निवासी मीराबाई पति हीरालाल राठौर और रंजनाबाई पति ताराचंद्र राठौर का कहना है कि "हम विधवा हैं। हमें न तो पेंशन मिलती है और न लाडली बहना की किस्त, जबकि पहले मिल रही थी। अब कौन सुने? उन्होंने प्रशासन से मांग की कि दस्तावेजों की दोबारा जांच कर लाभ बहाल किया जाए।
गांवों में पंजीयन के समय बड़ी संख्या में महिलाएं निरक्षर थीं जिनके पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं थे। उस समय पंचायतों और निकायों ने कैंप लगाकर आधार और समग्र आईडी लिंक कर डीबीटी से खाता जोड़ा, लेकिन जन्म तिथि न होने पर अनुमानित उम्र दर्ज कर दी गई। अब यही अनुमानित उम्र पोर्टल में 60 वर्ष या उससे अधिक दिख रही है और सिस्टम उन्हें स्वतः अपात्र मानकर लाभ रोक रहा है, जबकि वास्तव में कई महिलाएं अभी 50-55 वर्ष की ही हैं। (mp news)
योजना में महिलाओं की संख्या घटने के तीन मुख्य कारण मृत्यु, स्वेच्छा से लाभ परित्याग, 60 वर्ष आयु पूर्ण होना है। कुछ मामलों में डीबीटी दो खातों में जाने से भी गड़बड़ी होती है, लेकिन शिकायत मिलने पर नाम दोबारा जोड़े जाते हैं।
रतनसिंह गुंडिया, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग बड़वानी