
doctors own medical store anuppur Chhindwara Cough Syrup Case (photo by freepik)
MP News: छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप से कई बच्चों की मौत हो गई। यह सिरप चिकित्सक ही बच्चों को लिख रहे थे और उनकी पत्नी के नाम से संचालित मेडिकल स्टोर (medical store) से इसकी बिकी होती थी। इस घटना से सिर्फ चिकित्सकीय लापरवाही ही सामने नहीं आई है, बल्कि दवा कारोबार में चिकित्सकों की बढ़ती प्रत्यक्ष भागीदारी और कमीशन का खेल भी सामने आया है। (Chhindwara Cough Syrup Case)
वर्तमान में अधिकांश चिकित्सकों ने अपना खुद का मेडिकल स्टोर खोल रखा या फिर एक दुकान तय कर रखी है, जहां से उनकी लिखी दवाइयां मिलती हैं। जिले में भी यही खेल चल रहा है।चिकित्सकों के क्लीनिक में ही मेडिकल स्टोर, पैथोलॉजी लैब का संचालन किया जा रहा है। उनकी लिखी दवाइयां कहीं और नहीं मिलती।
ऐसे में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को भी मजबूरन महंगे दामों में दवाइयां लेनी पड़ती हैं। चिकित्सक इलाज में नाम पर महंगी दवाओं की ब्रांडिंग भी करते हैं। फार्मूला खिलने की बजाय ब्रॉन्ड नेम लिखते हैं। मरीज दवा वहीं से खरीदें इसके लिए दवा क्लीनिक में पहुंच कर दिखाना भी पड़ता है। इतना ही नहीं मिलती-जुलती दूसरी दवाइयां लेने पर मरीजों को डराया भी जाता है। (Chhindwara Cough Syrup Case)
अनूपपुर तहसील परिसर के समीप संचालित क्लीनिक के बगल में दो मेडिकल स्टोर और पैथोलॉजी केंद्र का भी संचालन किया जा रहा हैं। मरीजों को इसी मेडिकल स्टोर से दवा लेनी पड़ती है। परिसर में संचालित पैथोलॉजी केंद्र का रिपोर्ट ही मान्य होता है। यदि मरीज किसी अन्य पैथोलॉजी लैब की जांच रिपोर्ट लेकर पहुंचता है तो उसे दोबारा जांच कराने के लिए कहा जाता है। (Chhindwara Cough Syrup Case)
इंदिरा तिराहा के समीप संचालित निजी क्लीनिक के बगल में मेडिकल स्टोर और पैथोलॉजी जांच केंद्र है। यहां पदस्थ चिकित्सक जिला चिकित्सालय में भी अपनी सेवाएं देते हैं लेकिन जिला चिकित्सालय से ज्यादा समय वह क्लीनिक पर रहते हैं। ऐसे में मरीजों को उपचार के लिए उनके क्लीनिक पर पहुंचना पड़ता है। जहां पर ना तो शासकीय दवा मिलती है और ना ही निःशुल्क पैथोलॉजी जांच होती है।
बेलियाबड़ी निवासी सुनील रैदास अपने परिजन को जिला मुख्यालय के सेवानिवृत चिकित्सक के यहां इलाज कराने लेकर आए थे। इलाज के बाद बगल में संचालित मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीदने का दबाव बनाया गया। दवा लेकर डॉक्टर को दिखाने के लिए कहा गया। दवाइयां खत्म होने पर फिर से दवा लेने के लिए उसी मेडिकल स्टोर पर आना पड़ा।
फुनगा निवासी कलावती बाई इलाज के लिए जिला मुख्यालय के डॉक्टर के यहां पहुंची थी। चिकित्सक के सहयोगी स्टाफ ने क्लीनिक के बगल में संचालित मेडिकल स्टोर से दवा लेने और दिखाने के लिए कहा। दवा की कितनी मात्रा लेनी है यह दवा खरीदने के बाद ही खिलकर दिया जाता है ताकि इस बात की पुष्टि हो जाए कि कहीं और से दवा नहीं खरीदी है।
अनूपपुर न्यायालय रोड पर संचालित शिशु रोग विशेषज्ञ के क्लीनिक में जैतहरी निवासी अशोक राठौड़ बच्चे के इलाज के लिए पहुंचे। क्लीनिक में चिकित्सक नहीं थे। सहयोगी स्टाफ दवाइयां लिख रहा था। यह क्लीनिक चिकित्सक के घर पर ही संचालित है और बगल में मेडिकल स्टोर है। छिंदवाड़ा की घटना के बावजूद बच्चों के इलाज में मनमानी की जा रही है। (Chhindwara Cough Syrup Case)
अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। चिकित्सकों को दवा लिखने की स्वतंत्रता है। वह मरीज की तबीयत के अनुसार दवा दे सकते हैं। इस पर कोई अंकुश नहीं लगाया जा सकता।- डॉ. आरके वर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अनूपपुर
Published on:
10 Oct 2025 02:55 pm
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