बहराइच

सपा की सरकार होती तो नहीं मिलता न्याय, कोर्ट के फैसले पर बोले रामगोपाल के भाई हरिमिलन

बहराइच के रेहुआ मंसूर गाँव में 13 अक्टूबर 2024 को दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान घटी। जब गाँव के मुस्लिमों ने विसर्जन में गाने पर विवाद शुरू किया, जो देखते ही देखते ही हिंसा में बदल गया।

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Dec 12, 2025
फोटो सोर्स: इमेज, बहराइच हिंसा

बहराइच हिंसा में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान उपद्रवियों ने रामगोपाल मिश्रा की नृशंस हत्या कर डाली थी। इस घटना के बाद पूरा बहराइच हिंसा की आग में जल उठा था, प्रशासन ने कारवाई के दौरान कई आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था।

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सरफराज को कोर्ट ने दी फांसी की सजा

बहराइच में अक्टूबर 2024 को हुए सांप्रदायिक दंगों के दोषियों को कोर्ट ने सजा सुनाई है। कोर्ट ने दंगों के मुख्य दोषी सरफराज उर्फ रिंकू को कोर्ट ने फाँसी की सजा दी है, 9 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में मृतक राम गोपाल मिश्रा के भाई हरिमिलन ने योगी सरकार को धन्यवाद कहते हुए कहा कि वो सरकार द्वारा की गई पैरवी से संतुष्ट हैं।

हरिमिलन बोले…सपा सरकार होती तो हम होगा हो जाते बंद

रामगोपाल के भाई हरिमिलन ने कहा, "योगी सरकार न होत भाजपा कै, तो इहो सजा कहाँ होई पावत। सपा के सरकार होत तो उल्टा हमहै सब बंद होए जात। उन्होंने कहा है कि योगी सरकार है तभी आरोपितों को सजा हो पाई है। वरना सपा सरकार होती तो हमें ही जेल में बंद कर दिया जाता। उन्होंने अवधी में बोलते हुए कहा, “योगी सरकार न होत भाजपा कै, तो इहो सजा कहाँ होई पावत। सपा के सरकार होत तो उल्टा हमहै सब बंद होए जात।”हरिमिलन ने कहा कि 3 अन्य आरोपितों के बरी होने से उन्हें आगे चलकर दिक्कत हो सकती है, पता नहीं कैसे वो बरी हो गए। उन्होंने रामगोपाल मिश्रा के साथ हुई नृशंसता को बताए।

भाई की हुई थी नृशंस हत्या, दस लोगों को सुनाई गई सजा

उन्होंने बताया कि जब भाई का शव उन्हें मिला था, पोस्टमार्टम के बाद तब भी पैरों की उंगलियों से खून रिस रहा था। नाखून उखड़े हुए थे। चार्जशीट और कोर्ट के फैसले में भी यही बात है। बता दें कि 11 दिसंबर गुरुवार को को बहराइच की एक कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए 10 लोगों को दंगों का दोषी करार देकर सजा सुनाई।

तीन अन्य आरोपी सबूतों के अभाव में हुए बरी

कोर्ट ने सरफराज को राम गोपाल मिश्रा की हत्या के अपराध में फाँसी की सजा दी है, जबकि बाकी 9 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इनमें सरफराज के अब्बा अब्दुल हमीद और उसके दो भाई फहीम और तालिब उर्फ सबलू भी शामिल हैं। अन्य दोषियों में सैफ, जावेद, जीशान, ननकाउ, शोएब और मरुफ शामिल हैं। हालाँकि, पर्याप्त सबूतों के अभाव में तीन अन्य लोगों खुर्शीद, शकील और अफजल को बरी कर दिया गया। कोर्ट का यह फैसला अक्टूबर 2024 में हुई घटना के 14 महीने बाद आया है।

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Updated on:
13 Dec 2025 05:25 pm
Published on:
12 Dec 2025 11:14 pm
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