बहराइच

दंड शास्ति प्रजा…मनुस्मृति के इस श्लोक का बहराइच हिंसा से क्या है कनेक्शन, जब जज ने फैसला सुनाते हुए तोड़ दी पेन की निब

बहराइच में सालभर पहले हुई हिंसा में रामगोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या करने वाले सरफराज को फांसी की सजा दी गई है। सरफराज के पिता, दो भाई समेत 9 को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

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Dec 12, 2025
फोटो डोर्स: पत्रिका, बहराइच हिंसा

बहराइच में 13 अक्टूबर 2024 को दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान रामगोपाल मिश्रा हत्याकांड मामले में गुरुवार को अदालत ने मुख्य आरोपी सरफ़राज़ को फांसी और अन्य 9 को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है। अदालत के इस फैसले के बाद रामगोपाल मिश्रा की पत्नी रोली मिश्रा ने संतोष जताया और कहा कि कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं। हमें यह फैसला मंजूर है कि 13 महीने 26 दिन तक चली सुनवाई में ADJ फर्स्ट की कोर्ट ने सभी 10 आरोपियों को दोषी माना था और फैसला सुरक्षित रख लिया था।कोर्ट के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई थीं। वादी पक्ष ने इस मामले में मृत्यु दंड की मांग की थी।

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फैसला सुनाते हुए जज ने तोड़ दी निब

प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश पवन कुमार शर्मा द्वितीय ने हत्याकांड के फैसले के बाद दोषी सरफराज उर्फ रिंकू को मृत्युदंड देने के बाद अपने पेन की निब तोड़ दी।प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में सांय साढ़े पांच बजे जब फैसला आया तो 142 पन्ने में दोषियों की कुंडली लिखी हुई थी। 12 गवाहों के बयान, पोस्टमार्टम रिपोर्ट समेत तमाम साक्ष्य इसमें शामिल हैं।

हाइकोर्ट के फैसले पर पत्नी ने कहा, पति की आत्मा को मिली शांति

रामगोपाल मिश्रा का परिवार इस फैसले पर नजरें टिकाए हुए थे। पत्नी रोली मिश्रा लगातार इस मामले आरोपियों की फांसी की सजा की मांग कर रहीं थी। खुद इस मामले में सीएम योगी ने पीड़ित परिवार से मिलकर कार्रवाई का भरोसा दिलाया था। आज जब कोर्ट का फैसला आया तो रोली मिश्रा ने कहा कि हमें अदालत से ऐसे ही फैसले की उम्मीद थी, उन्होंने कहा कि मेरे पति की आत्मा को शांति मिली।

दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के बाद भड़की थी हिंसा, रामगोपाल की हुई थी नृशंस हत्या

आपको बता दें कि 13 अक्टूबर 2024 को दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान महाराजगंज बाजार में हिंसा भड़की थी। इस बीच तोड़फोड़ आगजनी के साथ रामगोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।इस घटना में आरोपियों के खिलाफ BNS की धारा 191(2) 191(3), 190, 103(2) 249, 61(2) के साथ आर्म्स एक्ट की धारा 30 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था । घटना के बाद से पुलिस मुठभेड़ में मुख्य आरोपी सरफराज सहित 13 आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा था और एनएसए तक की कार्रवाई की गयी थी।

सरफराज को फांसी, अन्य को आजीवन कारावास

कोर्ट में लगभग 13 माह तक चली सुनवाई एवं ट्रायल के बाद आखिरकार राम गोपाल मिश्रा के परिजनों एवं हिंसा से प्रभावित हुए पीड़ितों को न्याय मिला है। एडीजे फर्स्ट ने इस मामले में अब्दुल हमीद, सरफराज, मोहम्मद तालिब, फहीम, जीशान, मोहम्मद सैफ, जावेद, सोएब खान,ननकऊ और मारूफ अली सहित 10 अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए, सरफराज को फांसी एवं अन्य 9 को आजीवन कारावास की सजा के साथ एक-एक लाख के अर्थदंड की सज़ा भी सुनाई है।

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Updated on:
12 Dec 2025 02:09 pm
Published on:
12 Dec 2025 08:10 am
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