11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

लव-मैरिज के सिर्फ 85 दिन बाद हो गई थी रामगोपाल की हत्या; तीन भाइयों की 25 साल की उम्र में मौत

Bahraich Violence Case Ramgopal Death : 13 अक्टूबर 2024 को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई हिंसा में रामगोपाल मिश्रा की जान चली गई थी। रामगोपाल ने लव-मैरिज की थी। शादी के महज 85 दिन बाद ही उसकी हत्या हो गई थी।

2 min read
Google source verification

शादी के सिर्फ 85 दिन बाद बहराइच के रामगोपाल मिश्रा की हो गई थी हत्या, PC- X

बहराइच(Bahraich Violence Case Ramgopal Death) : बहराइच हिंसा मामले में आज (11 दिसंबर 2025) को कोर्ट ने सजा सुनाई। अदालत ने मुख्य दोषी सरफराज को फांसी की सजा दी। वहीं अन्य 9 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। 13 अक्टूबर 2024 को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान यह हिंसा हुई थी। कोर्ट ने 14 महीने में मामले में फैसला सुनाया।

शादी के सिर्फ 85 दिन बाद हुई हत्या

रामगोपाल की शादी हत्या से महज 85 दिन पहले रोली से मंदिर में लव मैरिज हुई थी। शादी में बहुत कम लोग शामिल हुए थे, लेकिन बाद में दोनों परिवारों ने रिश्ता स्वीकार कर लिया। रामगोपाल पहले लखनऊ में रहते थे। रोली ने घटना के बाद बताया, "उस दिन गांव में भंडारा था, पति खाना बना रहे थे। फिर विसर्जन में जाने की जिद की। मैंने बाइक की चाबी छिपा दी और मना किया, लेकिन वे चले गए। शाम को फोन आया कि गोली लगी है। अस्पताल पहुंचे तो देखा- गले पर चाकू के निशान, पैर के नाखून प्लास से खींचे गए, हाथ-पेट में गोलियां… जानवरों की तरह मारा गया।

तीन भाइयों की 25 साल से कम उम्र में मौत

रामगोपाल के चार भाई और दो बहनें थीं। दो भाइयों की पहले ही मौत हो चुकी थी—एक ने फांसी लगा ली, दूसरे की डूबने से मौत हुई। दोनों की उम्र 25 साल से कम थी। अब रामगोपाल भी 25 साल से कम उम्र में चले गए। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।

झंड़ा उतारकर भगवा लगाने पर हुआ था विवाद

बहराइच से करीब 40 किमी दूर महराजगंज बाजार में 13 अक्टूबर को शाम 6 बजे दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस निकाला जा रहा था। इसी दौरान महराजगंज कस्बे में मुस्लिम समाज के लोगों ने डीजे बंद करने को कहा। इस बात पर विवाद हो गया। जुलूस पर पत्थर फेंके गए। दोनों पक्षों में पथराव-आगजनी के साथ 20 राउंड से ज्यादा फायरिंग हुई। इसी दौरान रेहुवा मंसूर के रहने वाला रामगोपाल मिश्रा, अब्दुल हमीद के घर की छत पर चढ़ गया और वहां लगा झंडा उतार दिया। उसकी जगह पर उसने भगवा झंडा फराया। इस दौरान अब्दुल हमीद और उनके बेटे सरफराज और दूसरे आरोपियों ने रामगोपाल को घर के अंदर खींचकर बुरी तरह से पीटा। फिर गोली मार दी। रामगोपाल को लखनऊ ले जाते समय मौत हो गई। इसके बाद भीड़ हिंसक हो गई।