ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल-बेहाल है। इससे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने की उम्मीद नहीं है। बालोद विकासखंड के ग्राम पिपरछेड़ी में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत 10 साल से खराब है।
बालोद जिले के ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल-बेहाल है। इससे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने की उम्मीद नहीं है। बालोद विकासखंड के ग्राम पिपरछेड़ी में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत 10 साल से खराब है। यह गांव पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेडिय़ा का ससुराल है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बारिश के दिनों में पानी टपकता है। अस्पताल की दीवारों में दरार पड़ गई है। चिकित्सक क्वार्टर पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। जिले में 10 स्वास्थ्य केंद्र हैं, जो पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। इन केंद्रों के लिए नए भवनों ने की मांग स्वास्थ्य विभाग कई बार शासन से कर चुका है। इसके बाद भी अब तक स्वीकृति नहीं मिली है। यहां मरीजों के इलाज के अलावा गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है।
नए स्वास्थ्य केंद्र भवन के लिए स्वास्थ्य विभाग हर दो माह में शासन को प्रस्ताव भेजता है। प्रस्ताव चार - पांच वर्षों से भेजा जा रहा है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री ने कोई सुध नहीं ली। सीजीएमएससी भी हर साल जर्जर स्वास्थ्य केंद्रों की जानकारी मांगता है, लेकिन आगे कुछ नहीं होता है।
जिले में 9 स्वास्थ्य केंद्रों के पास खुद का भवन नहीं है। इसमें उप स्वास्थ्य केंद्र मनकी, पिनकापार, हडग़हन, गहिरानवागांव, देवरी, पुराना बाजार दल्लीराजहरा, मगरदाह, अचौद एवं चिचबोड़ शामिल है। ये स्वास्थ्य केंद्र पुराने शासकीय भवनों में संचालित हैं। स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने शासन स्तर पर कोई पहल नहीं हो रही है।
यह भी पढ़े:
जिले के पिपरछेड़ी, लिमोरा, पापरा, सोहपुर, गुरेदा, तिलोदा, अरमरीकला, हितेकसा, बालोदगहन के स्वास्थ्य केंद्र अति जर्जर हो चुके हैं। इनकी जल्द मरम्मत कराने या नया निर्माण करने की जरूरत है।
जिला अस्पताल 1
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 6
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 30
उप स्वास्थ्य केंद्र 196
भवनविहीन उपस्वास्थ्य केंद्र 9
अति जर्जर स्वास्थ्य केंद्र 9
यह भी पढ़े:
पिपरछेड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के नाम ग्रामीण क्षेत्र में सालभर के भीतर सबसे ज्यादा सुरक्षित प्रसव कराने की उपलब्धि है। यही स्वास्थ्य केंद्र कुछ वर्षों से बदहाली के आंसू बहा रहा है। केंद्र की स्थिति सबसे अधिक गंभीर बनी हुई है। शासन व जिला प्रशासन को मामले को गंभीरता लेना चाहिए।
सीएमएचओ बालोद डॉ. एमएल उइके ने कहा कि जिले के जितने भी जर्जर स्वास्थ्य केंद्र हैं, वहां नए स्वास्थ्य केंद्र बनाने शासन से मांग की गई है। शासन से जैसे ही स्वीकृति मिलती है तो आगे की कार्यवाही की जाएगी।