Brinjal cultivation: पारंपरिक खेती से आगे बढ़ते हुए राजपुर क्षेत्र के किसानों ने टमाटर, खीरा, मिर्च व बैगन की शुरु की खेती
राजपुर। कभी सिर्फ रबी और खरीफ फसलों पर निर्भर रहने वाला बलरामपुर जिले का राजपुर क्षेत्र अब उद्यानिकी खेती का केंद्र बनता जा रहा है। यहां के किसानों ने अब पारंपरिक फसलों से आगे बढ़ते हुए टमाटर, खीरा, मिर्च और बैगन जैसी फसलों को अपनाया है। इससे न केवल किसानों की आय के स्रोत बढ़े हैं, बल्कि क्षेत्र ने अब व्यावसायिक स्तर पर अपनी अलग पहचान भी स्थापित कर ली है। यहां के बैगन (Brinjal cultivation) की अब बंगाल के खडग़पुर में काफी डिमांड है। इससे किसान मालामाल हो रहे हैं।
गौरतलब है कि पूर्व में पड़ोसी राज्यों से उद्यानिकी उत्पाद आयात किए जाते थे। लेकिन अब राजपुर क्षेत्र इन फसलों को झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा और बंगाल जैसे राज्यों में निर्यात कर रहा है। ग्राम नवकी सरनापारा निवासी किसान माधव शाह ने बताया कि उन्होंने इस वर्ष अपने खेत में बैगन (Brinjal cultivation) और खीरा की खेती की है।
3 एकड़ भूमि में की गई बैगन की खेती (Brinjal cultivation) पर लगभग 6 से 8 लाख रुपये की लागत आई, जबकि अब तक वे 20 लाख रुपए से अधिक की बिक्री कर चुके हैं। तोड़ाई अभी भी बाकी है। बंगाल के खडग़पुर मंडी से व्यापारी सीधे राजपुर पहुंचकर बैगन खरीद रहे हैं और अच्छा मूल्य दे रहे हैं।
किसान माधव शाह का कहना है कि उन्होंने वैज्ञानिक पद्धति से खेती की, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार हुआ। उनका कहना है कि उद्यानिकी खेती (Brinjal cultivation) अब किसानों के लिए सिर्फ जीविकोपार्जन नहीं, बल्कि व्यावसायिक अवसर भी बन गया है। यदि सरकार सहयोग दे तो यह क्षेत्र और ऊंचाइयों को छू सकता है।
माधव शाह ने आवारा मवेशियों को क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती बताया। उनका कहना है कि मवेशी मालिकों द्वारा उन्हें खुला छोड़ दिया जाता है, जिससे वे किसानों (Brinjal cultivation) की मेहनत को बर्बाद कर देते हैं। कई बार विवाद की भी स्थिति बन जाती है। उन्होंने शासन से इस ओर ध्यान देने तथा समस्या से निजात दिलाने की मांग की है।