Custodial death case: बलरामपुर के दहेजवार स्थित धनंजय ज्वेलर्स में चोरी के एक आरोपी की पुलिस हिरासत में मौत का मामला, शव लेने को तैयार नहीं थे परिजन, पुलिस ने जबरन गांव भेज दिया शव
बलरामपुर। बलरामपुर के दहेजवार चौक स्थित धनंजय ज्वेलर्स में चोरी व खरीदारी करने वाले 9 आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा था। इनमें से 8 आरोपियों को पुलिस ने रविवार को जेल भेज दिया था। जबकि एक आरोपी उमेश सिंह की पुलिस हिरासत में (Custodial death case) अलसुबह अस्पताल में मौत हो गई थी। पुलिस ने उसका नाम आरोपियों की लिस्ट में नहीं दिखाया था। पुलिस का कहना है कि उमेश को सिकलसेल बीमारी थी, जबकि परिजन ने पुलिस की पिटाई से मौत का आरोप लगाया था। परिजन उसका शव ले जाने को तैयार नहीं थे। वे उसका दोबारा पोस्टमार्टम कराने तथा दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर की मांग पर अड़े थे। इसी बीच सोमवार की दोपहर पुलिस ने जबरन उसका शव एंबुलेंस से उसके गांव भिजवा दिया। इसे लेकर थाने के सामने प्रदर्शन करने पर परिजन पर लाठीचार्ज भी किया।
मृतक उमेश सिंह (Custodial death case) के मां अगरबती सिंह समेत अन्य परिजन के अनुसार पुलिस ने 7 नवंबर की सुबह उमेश को घर से उठाया था। यहां से ही उसके साथ मारपीट शुरु कर दी थी। अंबिकापुर ले जाकर तथा बलरामपुर थाने में रखकर भी उसकी पिटाई की गई थी। मां का कहना है कि 8 नवंबर को जब वह बलरामपुर थाने पहुंची तो उसे बेटे से मिलने नहीं दिया गया।
जब वह पानी पीने के बहाने थाने के भीतर गई तो उमेश (Custodial death case) की पिटाई की जा रही थी। फिर 9 नवंबर की सुबह 8 बजे पुलिस ने उन्हें फोन पर सूचना दी कि उमेश की हालत गंभीर है, वह बलरामपुर अस्पताल में भर्ती है। जब वे बलरामपुर आने लगे तो 12 बजे पुलिस ने उन्हें पस्ता थाने में रोक लिया।
यहां 2 घंटे बाद बलरामपुर से एक महिला पुलिस अधिकारी पहुंचीं तो उन्हें जाने दिया गया। यहां जब वे पहुंचे तो उमेश का पीएम शुरु हो चुका था। 2 मिनट बाद ही पुलिस ने उसे पीएम हाउस से निकाल दिया।
इस मामले (Custodial death case) में पुलिस का कहना था कि चोरी के जेवर बरामद कर सीतापुर स्थित उसके गांव से लौटने के दौरान 9 नवंबर की सुबह उसकी तबीयत रास्ते में खराब हो गई थी। फिर हम अस्पताल ले गए और वहां करीब 4.30 बजे उसकी मौत हो गई। पुलिस का कहना है कि उमेश को सिकलसल की बीमारी थी, इसके प्रमाण भी उनके पास हैं, जबकि परिजन का कहना था कि उसे कोई बीमारी नहीं थी।
मृतक उमेश का पीएम कराने के बाद पुलिस (Custodial death case) ने परिजन को देना चाहा, लेकिन उन्होंने लेने से इनकार कर दिया था। वे दोबारा पीएम कराने तथा एफआईआर की मांग पर अड़े थे। इसी बीच सोमवार की दोपहर करीब 12 बजे पुलिस अस्पताल की मरच्यूरी से उमेश का शव एंबुलेंस में लेकर निकली। यह देख परिजन पीछे से दौड़े तो पुलिस ने कथित रूप से उन्हें अस्पताल में बंधक बना लिया। जब एंबुलेंस शव लेकर निकल गई तो परिजन को छोड़ा।
पुलिस द्वारा शव ले जाने के बाद करीब 25-30 की संख्या में परिजन थाने पहुंचे और गेट पर प्रदर्शन करने लगे। इस पर पुलिस ने उन पर लाठियां भांजी। यह देख कुछ लोग तो भाग गए, लेकिन कुछ लोगों को पुलिस घसीटकर थाने में ले गई।
परिजन का कहना था कि जब हम यहां हैं तो पुलिस ने शव (Custodial death case) को गांव किसके पास भेजा। पुलिस से जब यह सवाल पूछा गया तो उसने बताया कि हमने गांव में शव भिजवा दिया है, वहां और लोग होंगे, सरपंच, सचिव हैं, वे लोग शव ले लेंगे। पुलिस की यह कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है।