Banswara : बांसवाड़ा में गेहूं बुवाई ठीक से शुरू भी नहीं हो पाई है और खाद संकट के संकेत हैं। किसान चिंतित हैं। पर संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार डॉ. दलीप सिंह बोले, घबराएं नहीं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
Banswara : बांसवाड़ा जिले में गेहूं, मक्का, जौ, चना जैसी फसलों की बुवाई ठीक से शुरू भी नहीं हो पाई है और खाद संकट के संकेत हैं। अब सात दिन बाद जिले में यूरिया और डीएपी की डिमांड बढ़ेगी। कृषि विभाग के अनुसार गत शनिवार तक जिले में 3297 एमटी डीएपी व 10599 एमटी यूरिया उपलब्ध था। इसमें होल सेलर के पास 502.145 एमटी और रिटेलर के पास 10097.332 एमटी यूरिया था। डीएपी की बात की जाए तो होल सेलर के पास 293.2 एमटी और थोक विक्रेता के पास 3003.860 एमटी था। जबकि 12 हजार एमटी से अधिक डीएपी की जरूरत है। जबकि यूरिया की जरूरत 46 हजार एमटी से अधिक बताई जा रही है।
खाद बीज विक्रेता ने बताया कि यूरिया की स्थिति खराब है। अभी तो किसानों को दोनों खाद मिल रहे हैं। पर जो स्टॉक है वह एक सप्ताह नहीं चलने वाला।
बांसवाड़ा जिले में 85 हजार हेक्टेयर माही का कमांड क्षेत्र आता है। जबकि, एक लाख हेक्टेयर में खेती होती है। 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र लिफ्ट से सिंचाई पहुंचती है। 10 हजार हेक्टेयर अन्य संसाधनों से खेती के लिए है। ऐसे में करीब एक लाख 40 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में खेती होती है।
यह है स्टॉक
3297 एमटी डीएपी
10599.477 एमटी यूरिया
इतनी और जरूरत
12 हजार टन डीएपी
46 हजार टन यूरिया
जिले में यूरिया और डीएपी की कमी नहीं होने दी जाएगी। वर्तमान में भी खाद मौजूद है। शेष ट्रांसपोर्ट के जरिए आ रहा है। इसलिए किसानों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
डॉ. दलीप सिंह, संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार, बांसवाड़ा