International Women's Day : जनजातिय बेटियों की कड़ी मेहनत और हुनर से बांसवाड़ा का नाम दुनिया के 100 से अधिक देशों में गूंज रहा है। जानने के बाद आप गर्व करेंगे।
आशीष बाजपेयी
International Women's Day : जनजातिय बेटियों की कड़ी मेहनत और हुनर से बांसवाड़ा का नाम दुनिया के 100 से अधिक देशों में गूंज रहा है। सिंगापुर, मलेशिया या यूरोप के जर्मनी, इटली, इन सभी देशों में बांसवाड़ा में बने धागा और कपड़े की खूब डिमांड है। बांसवाड़ा में संचालित 8 फैक्ट्री (यूनिट) में कहीं धागा तो कहीं कपड़े का उत्पादन किया जाता है। यहां अन्य श्रमिकों के साथ तकरीबन एक हजार नारी शक्ति घंटों खड़े रहकर काम करती हैं। हर रोज उम्दा क्वालिटी का तकरीबन 230 टन धागा और 2 लाख मीटर कपड़ा बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा है। बांसवाड़ा की इन कपड़ा फैक्ट्री में बांसवाड़ा सहित देश के चार राज्यों झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की महिलाएं भी कार्यरत हैं।
कपड़ा फैक्ट्री में महिला श्रमिकों की संख्या काफी अच्छी है। एक ग्रुप की फैक्ट्री में तकरीबन 25% महिलाएं श्रमिक हैं तो दूसरे में तकरीबन 18% हैं। महिला श्रमिक धागा व कपड़ा बनाने की तकरीबन हर यूनिट पर सेवाएं दे रही हैं। सुरक्षित माहौल और आर्थिक संबल के कारण बीते वर्षों में काम करने वाली महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है।
इन कपड़ा फैक्ट्री की मशीनों पर ही महिलाएं काम नहीं कर रहीं। बल्कि दफ्तर और लैब में भी अहम भूमिका में हैं। यहां ये महिलाएं अहम व्यवस्थाएं संभाल रही हैं।
इन फैक्ट्री में बरसों से काम करने वाली कई महिलाएं बताती हैं कि उन्होंने काम करना शुरू किया तो तब घर की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा सुदृढ नहीं थी। पर, धीरे -धीरे काफी बदलाव आया है क्यों कि अब घर में दो लोग कमाने वाले हैं।
1- 1000 तकरीबन नारी शक्ति कपड़ा फैक्ट्री में करती हैं काम।
2- 8 घंटे औसतन हर रोज कार्य।
3- 4 राज्यों की नारी शक्ति का कपड़ा बनाने में योगदान।
4- 230 टन तकरीबन धागा हर रोज बनाता है बांसवाड़ा में।
5- 2 लाख मीटर से अधिक विभिन्न गुणवत्ता के कपड़े का होता है उत्पादन।