
देवेंद्र सिंह राठौड़
Rajasthan News : सामान्यतौर पर किसी भी गर्भवती महिला के लिए यही कहा जाता है कि इसके पेट में बच्चा पल रहा है, जबकि बच्चा होता गर्भाशय में है। लेकिन सांगानेरी गेट स्थित महिला चिकित्सालय में एक अत्यंत दुर्लभ और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें बच्चा वाकई महिला के पेट में था। दरअसल, विराट नगर की निवासी दिव्या (परिवर्तित नाम) 3 मार्च की रात करीब आठ बजे तेज पेट दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचीं। उनके पास मौजूद सोनोग्राफी रिपोर्ट में बताया गया था कि बच्चा कोख में आड़ा है। जांच में पता चला कि बच्चा गर्भाशय था ही नहीं। सोनोग्राफी में बच्चे के पेट में होने का पता चला।
चिकित्सकों ने बताया कि तत्काल सोनोग्राफी जांच से पता चला कि सुमन का बच्चा गर्भाशय यानी कोख की बजाय पेट में पल रहा है, जिसे मेडिकल भाषा में एब्डोमिनल प्रेग्नेंसी कहा जाता है। तुरंत सिजेरियन डिलीवरी का निर्णय लिया, जो जोखिम भरा था। परिजन की सहमति के बाद ऑपरेशन किया गया और 3 किलोग्राम वजन का स्वस्थ शिशु जन्मा। मां और बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं।
चिकित्सकों के अनुसार इस प्रकार के मामले 30 हजार गर्भधारण में से एक में देखने को मिलते हैं। अक्सर फैलोपियन ट्यूब फटने के बाद भ्रूण किसी दूसरे अंग से रक्त आपूर्ति लेकर पेट में पलने लगता है, लेकिन सामान्यतः कुछ दिन भी नहीं टिक पाता। इस मामले में शिशु पूरे समय तक पेट में पला और जीवित रहा। इसलिए यह दुर्लभ मामला है।
इस प्रसव को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाली चिकित्सकों की टीम में अधीक्षक डॉ. आशा वर्मा, डॉ. रजनी नवल, डॉ. गरिमा, डॉ. अनुराधा, डॉ. सुनीता जैन, डॉ. खुशबू हिंदुजा, डॉ. किरण चौधरी और डॉ. शिव गोयल, डॉ. सुमन, डॉ. प्रगति और डॉ. प्रियंका शामिल थे।
यह एक दुर्लभ केस है, क्योंकि बच्चा 9 महीने तक पेट में पला है और पूरी तरह स्वस्थ है। मां को भी इस बात का पता नहीं था कि उनकी कोख की बजाय पेट में बच्चा पल रहा है। इस मामले को अध्ययन के लिए जनरल में प्रकाशित किया जाएगा।
डॉ. आशा वर्मा, अधीक्षक, महिला चिकित्सालय, सांगानेरी गेट
Published on:
07 Mar 2025 10:47 am
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