बांसवाड़ा

राजस्थान में वन विभाग में जूनियर की बल्ले-बल्ले, मिला पदोन्नति का तोहफा, TSP के सीनियर को ठेंगा!

Rajasthan News : राजस्थान में वन विभाग के अधीन मंत्रालयिक कर्मचारियों की पदोन्नति में पृथक्करण से टीएसपी क्षेत्र बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ सहित अन्य जिलों के कर्मचारियों की तरक्की पर ब्रेक लग गया है। जानें आखिर माजरा क्या है?

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Rajasthan News : राजस्थान में वन विभाग के अधीन मंत्रालयिक कर्मचारियों की पदोन्नति में पृथक्करण से टीएसपी क्षेत्र बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ सहित अन्य जिलों के कर्मचारियों की तरक्की पर ब्रेक लग गया है। इसी साल प्रारंभ विभागीय कवायद से अब नॉन टीएसपी क्षेत्र के जूनियर कार्मिकों को आगे बढ़ने का अवसर मिल गया है, वहीं टीएसपी क्षेत्र के वरिष्ठ दरकिनार हो गए हैं।

गौरतलब है कि वर्षों से टीएसपी क्षेत्र से उठती रही मांग पर सभी विभागों में अलग भर्ती और पदोन्नति प्रक्रिया अपनाने का सिलसिला शुरू हुआ, लेकिन इसमें वन विभाग अछूता रहा। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने मुद्दा उठाया तो इस वर्ष वन विभाग में मंत्रालयिक कर्मचारियों के 927 संशोधित पदों में टीएसपी को अलग कर पदोन्नति के द्वार खोले गए। इसमें टीएसपी क्षेत्र के संस्थापन अधिकारी से लेकर कनिष्ठ सहायक तक छह श्रेणी के लिए मात्र 54 पद मंजूर किए गए। इनमें भी 44 एलडीसी-यूडीसी हैं। ऐसे में पूरे टीएसपी क्षेत्र में इनसे आगे जाकर मात्र 9 वरिष्ठ सहायक प्रशासनिक अधिकारी बन पाएंगे। फिर अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी का भी एकमात्र पद है, जबकि प्रशासनिक अधिकारी एवं संस्थापन अधिकारी का आंकड़ा शून्य होने से पात्र होते हुए भी ऊपर के पदोन्नति के अवसर ही खत्म हो गए हैं।

2014 में भरवाए थे विकल्प पत्र

कर्मचारियों के अनुसार टीएसपी क्षेत्र में रहने-न रहने के इच्छा व्यक्त करने 2014 में विकल्प पत्र भरवाए गए थे। उसके बाद भी एक ही कॉमन सूची जारी होती रही। इस साल अचानक बदलाव से उनकी प्रगति थम गई है। कई वरिष्ठ पदोन्नति पर नॉन टीएसपी क्षेत्र में स्थानांतरण हो तो भी जाने को तैयार हैं, लेकिन पृथक्करण से अब यह मुमकिन नहीं है।

अब यह हो तो थमे निराशा

विभाग रिव्यू डीपीसी करे या कॉमन लिस्ट करे तो कर्मचारियों का असंतोष दूर हो सकता है। इसके दीगर, नए प्रमोशन लेवल पर आने पर दोबारा विकल्प पत्र भरवाने की भी है।

कर्मचारी हित में हमारा प्रयास जारी हैं

मंत्रालयिक संवर्ग में पदोन्नति को के लेकर वाकई विसंगति है। रेश्यो के हिसाब से टीएसपी-नॉन टीएसपी क्षेत्र में पदों का आवंटन सही है, लेकिन जब गुंजाइश ही नहीं है। इसके चलते वरिष्ठ होते हुए भी पदोन्नति लाभ से कई कर्मचारी वंचित रहने से निराशा है। कर्मचारियों के हित में इसे लेकर हमारे प्रयास जारी हैं।
पीसी यादव, प्रदेशाध्यक्ष वन विभागीय मंत्रालयिक कर्मचारी संघ

यों समझें गणित

टीएसपी-नॉन टीएसपी पदोन्नति पृथक्करण से पहले विभाग की संशोधित कैडर स्ट्रेंथ में अनुपातिक दृष्टि से पूरे राज्य के 55 विभागीय दफ्तरों में मंत्रालयिक कर्मचारियों के पदों का आवंटन किया गया। इसमें टीएसपी क्षेत्र में तो बड़ी संख्या में पद आवंटित हो गए, लेकिन नॉन टीएसपी में वरिष्ठों के लिए पद नगण्य हो गए। इससे पूरे क्षेत्र के लिए पद ही 54 हैं और उनमें भी अधिकांश अदने स्तर के हैं तो इनसे वरिष्ठों के लिए पद ही नहीं हैं तो पदोन्नति का सवाल ही नहीं है। ऐसे में उन्हें उसी पद पर वर्षों तक रहना पड़ेगा, वहीं उनकी सीट खाली नहीं होने पर नीचे के स्तर के कर्मचारी को भी पदोन्नति का मौका नहीं मिलेगा। इससे सैकड़ों कर्मचारी प्रभावित हैं और पद नहीं बढ़ने पर आगे भी होंगे।

Published on:
01 Mar 2025 11:06 am
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