Rajasthan News : राजस्थान से बेहद दुखद न्यूज। जानकर हैरान रह जाएंगे कि बांसवाड़ा में जनजाति महिलाओं के गर्भ में हर रोज 2 बच्चों की मौत हो रही है। पढ़ें पूरी ग्राउंड रिपोर्ट।
आशीष वाजपेयी
Rajasthan News : कुपोषण और अशिक्षा जनजाति क्षेत्र के लिए पीड़ादायक बन चुका है। बांसवाड़ा में हर रोज दो गर्भस्थ शिशु दम तोड़ रहे हैं। सरकार और चिकित्सा विभाग इन हालात को सुधारने का दावा करते हैं, लेकिन जनजाति अंचल बांसवाड़ा में गत पांच वर्ष में 4 हजार से अधिक गर्भस्थ शिशुओं की मौत हकीकत बयां कर रही है। इसमें 70 फीसदी से अधिक जनजाति महिलाएं हैं। हेल्दी डाइट और स्वयं ध्यान न रखने के कारण जनजाति महिलाओं में एनीमिया ग्रसित होना इसका बड़ा कारण माना जा रहा है। कई गर्भवती में तो 4-5 ग्राम या इससे भी कम हीमोग्लोबिन पहुंच जाता है। इसे दूर करने के लिए सरकार और विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
1- जनजातीय महिलाओं में स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा।
2- आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाना।
3- सोनोग्राफी और अन्य जांच सुविधाएं सहजता से उपलब्ध कराना।
विशेषज्ञ बताते हैं कि पलायन भी बड़े कारणों में एक है। अधिकांश महिलाएं परिवार के साथ श्रमिक काम करने गुजरात और अन्य राज्यों में जाती हैं। जहां गर्भावस्था के समय वे ध्यान नहीं रख पाती। लगातार हैवी वर्क करने और अच्छी डाइट न ले पाने का विपरीत असर गर्भ पर पड़ता है।
1- गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच और दवाई न लेना।
2- अच्छी डाइट पर ध्यान नहीं दिया जाना।
3- बढ़ाते रक्तचाप का निदान न करना।
4- प्रसव के कुछ हफ्ते पूर्व डायबिटीज को नजर अंदाज करना।
5- दो संतानों के बीच निर्धारित अंतराल न रखना व व अन्य कई।
जनजाति महिलाओं में जागरूकता की कमी है। अच्छी डाइट, समय पर जांच और चिकित्सक से परामर्श का अभाव सहित अन्य कारण से गर्भ में शिशु की मौत हो जाती है। मातृ शिशु स्वास्थ्य पोषण दिवस और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस के तहत गर्भवती को जांच और परामर्श देते हैं।
डॉ. दिनेश भाबोर, आरसीएचओ, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, बांसवाड़ा