बांसवाड़ा

दक्षिण राजस्थान के आदिवासियों की 6 फीसदी आरक्षण की मांग, 24 नवम्बर को होगी महारैली

Rajasthan Tribals Demand : दक्षिण राजस्थान के आदिवासियों ने एक बार फिर 6 फीसदी आरक्षण की मांग की है। अपनी मांग को लेकर आदिवासी आरक्षण मंच 24 नवम्बर को बांसवाड़ा में महारैली करने जा रहा है।

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Rajasthan Tribals Demand : बांसवाड़ा में आरक्षण कोटे में कोटा तय करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सिलसिले में दक्षिण राजस्थान के आदिवासियों को 6 फीसदी आरक्षण का लाभ देने की मांग पर आदिवासी आरक्षण मंच फिर से आंदोलन की राह पर है। मंच की 24 नवम्बर को बांसवाड़ा में महारैली करने जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने संकेत दिए कि ऐसा संभव

बांसवाड़ा के सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में भाजपा नेताओं की अगुवाई में आदिवासी आरक्षण मंच के सदस्यों ने आरक्षण के मसले पर अपना पक्ष रखा। प्रो. कमलकांत कटारा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ‘कोटे में कोटा’ आदेश आदिवासी बहुल दक्षिण राजस्थान के लिए वरदान साबित होगा। इसका संपूर्ण आदिवासी समाज स्वागत करे। जो लोग आदेश समझ नहीं पा रहे, वह भ्रांति पैदा कर रहे हैं। हम वर्ष 1983 से मांग करते आ रहे हैं। प्रदेश में 12 प्रतिशत एससी-एसटी का आरक्षण है। दक्षिण राजस्थान के आदिवासियों को 6 प्रतिशत हिस्सा मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री ने संकेत दिए कि ऐसा संभव है।

सभी जिलों को अलग-अलग आरक्षण

प्रो. मणिलाल गरासिया ने कहा कि हम किसी जाति के खिलाफ नहीं हैं, न ही राजनीतिक रैली कर रहे हैं। कोर्ट के आदेश से उदयपुर, सवाई माधोपुर और बांसवाड़ा क्षेत्र के अलग आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। आंदोलन में सभी जातियों की भागीदारी हो। पूर्व प्रधान राजेश कटारा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश हरियाणा सरकार ने लागू कर दिया। पूर्व मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि वर्ष 1983 में पहली बार यह मांग मालवीया ने उठाई थी, जो अब पूरी होती दिखाई दे रही है। मालवीया के नेतृत्व में सीएम से मुलाकात करेंगे।

‘छोड़ना’ की जगह ‘जोड़ना’ करवाना है- मालवीया

पूर्व मंत्री महेंद्र जीत सिंह मालवीया ने कहा कि एक आदेश, जिसमें लिखा है कि प्रशासनिक सेवाओं को ‘छोड़कर’ हमें केवल ‘जोड़कर’ शब्द करवाना है। हमारे बच्चे को भी प्रशासनिक सेवाओं में आरक्षण मिलने लगेगा। यदि 100 पदों की भर्ती होगी तो 12 पद हमारे लिए आरक्षित होंगे। 6 पद हमारे आदिवासी क्षेत्र के लिए होंगे। अभी दूसरे जिले इसका लाभ ले रहे हैं। रैली के जरिए किसी वर्ग, जाति व समाज से संघर्ष नहीं हाेगा। उपवर्गीकरण से आदिवासी अंचल में ओबीसी के अलग कोटे का रास्ता खुलेगा। इस क्षेत्र से प्रशासनिक सेवाओं में युवा नहीं आ पा रहे हैं। हमें कोर्ट से लड़ाई नहीं लड़नी, केवल सरकार को मनाना है। मंच का दावा था कि उन्हें सभी का समर्थन हासिल है, मगर कांग्रेस और क्षेत्रीय दल भारत आदिवासी पार्टी का कोई सदस्य यहां मौजूद नहीं था। वार्ता के दौरान चुने हुए 34 जनप्रतिनिधि मौजूद थे, जो ज्यादातर भाजपा के हैं।

Updated on:
13 Nov 2024 12:07 pm
Published on:
13 Nov 2024 11:51 am
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