Urea Shortage In Baran: बारां जिले के किसानों को यूरिया की पर्याप्त आपूर्ति की मांग को लेकर अंता विधायक प्रमोद जैन भाया के नेतृत्व में किसानों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गढ़ेपान यूरिया प्लांट के बाहर धरना-प्रदर्शन किया।
Anta MLA Pramod Jain Bhaya: बारां जिले के किसानों को यूरिया की पर्याप्त आपूर्ति करने की मांग को लेकर बुधवार को अंता विधायक प्रमोद जैन भाया की अगुवाई में बड़ी संख्या में किसानों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गढ़ेपान यूरिया प्लांट के समक्ष धरना देकर प्रदर्शन किया। करीब साढ़े चार घंटे तक यूरिया कारखाने के गेट के समक्ष धरना चला। धरने में बारां और कोटा जिले के कांग्रेस कार्यकर्ता भी शामिल हुए।
गढ़ेपान सीएफसीएल के बाहर सुबह 11 बजे किसान और कांग्रेस कार्यकर्ता ट्रैक्टर-ट्राेलियों और बसों में सवार होकर पहुंचे। दोपहर ढाई बजे अंता विधायक प्रमोद जैन भाया धरने पर पहुंचे। विधायक भाया ने कहा कि सीएफसीएल में होने वाले उत्पादन पर पहला हक बारां के किसानों का बनता है, जबकि वर्तमान में कारखाने से हुआ उत्पादन पूरे देश भर में सप्लाई किया जा रहा है।
एशिया का सबसे बड़ा प्लांट होने के बाद भी किसानों को खाद के बदले लाठियां मिल रही हैं। कतारों में घंटों लगने के बाद भी मुश्किल से एक कट्टा खाद मिलता है, जो शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के अन्य जिलों में खाद सप्लाई किया जा रहा है और बारां को वंचित रखा जा रहा है। विधायक ने चेताया कि 15 दिसम्बर तक बारां में पर्याप्त आपूर्ति नहीं की गई तो कारखाना गेट पर ही आमरण अनशन पर बैठेंगे।
धरना स्थल पर दीगोद एसडीएम दीपक महावर व कृषि विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। इस दौरान कम्पनी के अधिकारी भी आए और वार्ता की। कम्पनी के अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में बारां जिले को प्रतिदिन 500-600 मेट्रिक टन यूरिया खाद की आपूर्ति की जा रही है। अब बढोतरी की जाएगी।
धरने को बारां जिलाध्यक्ष रामचरण मीणा, पूर्व विधायक पानाचंद मेघवाल, निर्मला सहरिया, पीसीसी सदस्य धर्मराज मेहरा, पूर्व जिला उपाध्यक्ष हरिप्रकाश शर्मा, कोटा महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष गायत्री मीणा, मांगरोल प्रधान हंसराज मीणा, मांगरोल चेयरमैन कौशल सुमन, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष महावीर मीणा ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि जल्द समस्या समाधान नहीं हुआ तो उग्र आन्दोलन किया जाएगा।
इस वर्ष प्रदेश में अच्छी बारिश होने, गेहूं व अन्य रबी फसलों के बढ़े हुए रकबे और समय पर बोवनी के कारण यूरिया की मांग अचानक और अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। यह बढ़ी हुई मांग केवल हाड़ौती तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में समान रूप से देखी जा रही है। चुनौती उत्पादन या कंपनी-स्तर की आपूर्ति में कमी की नहीं, बल्कि अचानक बढ़े वितरण-स्तर के दबाव की है। इसके बावजूद सीएफसीएल ने हाड़ौती के चारों जिलों में सरकारी आवंटन से अतिरिक्त यूरिया उपलब्ध कराया है।