बाड़मेर

Barmer: गुड़ामालानी की 92 वर्षीय महिला का देहदान, समाज को दी नई मिसाल, भावुक हुए ग्रामीण

इस मौके पर गांव के लोग भावुक नजर आए। ग्रामीण सवाराम ने कहा गैरों देवी का यह कदम हमारी सोच बदल देता है। यह बच्चों और समाज के लिए प्रेरणा है।

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Oct 17, 2025
देहदानी प्रक्रिया के दौरान मौजूद परिजन। फोटो- पत्रिका

बाड़मेर। गुड़ामालानी के धांधलावास निवासी 92 वर्षीय गैरों देवी धर्मपत्नी गंगाराम बोस का हाल ही में निधन हो गया। अपनी अंतिम इच्छा और परिजनों के सहयोग से उनका पार्थिव शरीर देहदान के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा गया। बाड़मेर जिले में अब तक यह आठवां देहदान है, जबकि जिले में कुल 109 लोगों ने पहले ही देहदान की शपथ ले रखी है।

परिवार के सदस्यों ने पार्थिव शरीर को मेडिकल कॉलेज तक सुरक्षित रूप से पहुंचाया। जहां मेडिकल कॉलेज के विभागाध्यक्ष डॉ. अभिजित जोशी, देहदान प्रभारी डॉ. मुकेश फ़ुलवारिया, डॉ. ओम प्रकाश माली, डॉ. निधि, डॉ. सोहेल, सतार, अशोक (हेल्पर) और अन्य फैकल्टी सदस्य मौजूद रहे और देहदानी की प्रक्रिया पूर्ण की गई।

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ग्रामीण बोले- समाज के लिए प्रेरणा

इस मौके पर गांव के लोग भावुक नजर आए। ग्रामीण सवाराम ने कहा गैरों देवी का यह कदम हमारी सोच बदल देता है। यह बच्चों और समाज के लिए प्रेरणा है। वहीं समाजसेवी हिन्दूराम ने कहा कि देहदान समाज में एक नई चेतना पैदा कर रहा है। हमें इसे बढ़ावा देना चाहिए।

इस दौरान समननाथ, ताराराम, भंवरी देवी, हरियो देवी, प्यारी देवी, राजूराम, पारस नाथ, अमराराम, हजारीराम, केसाराम, छगनाराम, देवाराम, जवानाराम, रूगनाथ राम, अल्लाराम, देवाराम डाभी, रमेश कुमार खती (प्रधानाचार्य), चंद्रशेखर भाटिया, विमला बृजवाल, स्वरूप बॉस, मोहनलाल नामा, नरेंद्र श्याम, मानवेंद्र (अध्यापक), जगदीशचंद और समस्त रिश्तेदार शामिल थे।

बाड़मेर में देहदान की पहल

बाड़मेर में देहदान की यह पहल समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। स्थानीय प्रशासन और मेडिकल कॉलेज के प्रयास से लोग अब देहदान के महत्व को समझ रहे हैं और इसे मानवता और शिक्षा के लिए अमूल्य योगदान के रूप में देख रहे हैं।

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देहदान क्या है

देहदान का अर्थ है किसी व्यक्ति के मृत्यु के बाद उसके अंगों या पूरे शरीर को चिकित्सा और शिक्षा के उद्देश्यों के लिए दान करना। मेडिकल कॉलेजों में इसका उपयोग छात्रों को शरीर रचना और रोगों की पहचान में व्यावहारिक अनुभव देने के लिए किया जाता है। यह शोध और नई तकनीकों के विकास में भी योगदान देता है।

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