Bheraram Bhakhar: बाड़मेर के ‘पेड़ शिक्षक’ भेराराम भाखर पिछले 26 साल से पेड़ लगाने की मुहिम चला रहे हैं। हर साल तनख्वाह का हिस्सा पौधों में खर्च कर चुके हैं। अब तक 1.6 लाख लोग जुड़े। फैमिली फॉरेस्ट्री और ‘300 ट्रीज, वन लाइफ’ अभियान से लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
Bheraram Bhakhar: राजस्थान के बाड़मेर जिले के शुष्क और रेगिस्तानी इलाकों में रहने वाले 46 वर्षीय शिक्षक भेराराम भाखर पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बने हुए हैं। लोग उन्हें प्यार से ‘पेड़ शिक्षक’ कहते हैं। पिछले 26 साल से वे लगातार पेड़ लगाने और लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का काम कर रहे हैं।
भेराराम की यह यात्रा जुलाई 1999 से शुरू हुई। उस समय वे छात्र थे और उन्होंने ‘पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ’ अभियान की शुरुआत की। शुरुआत में धोलाकरा गांव में 50 पौधे लगाए। उसी अनुभव ने उनके अंदर पर्यावरण बचाने का जुनून भर दिया।
साल 2002 में जब वे राजस्थान शिक्षा विभाग में सरकारी शिक्षक बने, तो उन्होंने अपनी पहली तनख्वाह पौधे लगाने में खर्च की। यही परंपरा उन्होंने आज तक जारी रखी है। हर साल एक महीने की तनख्वाह पेड़ लगाने के लिए दान करते हैं। वर्तमान में उनकी तनख्वाह 90,000 रुपए है, लेकिन उनमें से एक हिस्सा हर बार पर्यावरण को समर्पित होता है।
भेराराम अपनी बाइक से राजस्थान के विभिन्न इलाकों में 32,000 किलोमीटर तक यात्रा कर चुके हैं। वे गांवों और स्कूलों में जाकर लोगों को समझाते हैं कि पर्यावरण क्यों जरूरी है। उनके अभियान से अब तक 1.6 लाख लोग जुड़े हैं। वे खासतौर से स्थानीय और परंपरागत पेड़ों को बचाने और लगाने पर जोर देते हैं।
हर साल बरसात के मौसम में वे गांवों में मुफ्त पौधे बांटते और खुद लगाते हैं। वे 50 से 60 पौधे लोगों को देकर उन्हें ‘ट्री फ्रेंड’ (पेड़ मित्र) बनाते हैं और जिम्मेदारी सौंपते हैं कि वे पौधों की देखभाल करें। उन्होंने फैमिली फॉरेस्ट्री (परिवारिक वानिकी) की अनोखी सोच दी है। इसमें हर परिवार को पेड़ों को अपने सदस्य की तरह अपनाने की प्रेरणा दी जाती है।
भेराराम अपने गांव में गांधी पर्यावरण नर्सरी चलाते हैं। यहां आयुर्वेदिक और औषधीय पौधों को बढ़ावा दिया जाता है। उन्होंने छात्रों को जोड़ने के लिए SAFE (Students Action for Environment) अभियान भी शुरू किया है।
उनके अभियानों में ‘ग्रेट ट्री रेस्क्यू कैंपेन’ और प्रस्तावित ‘ग्रेट ट्री पेंशन स्कीम’ खास हैं। इनका मकसद पुराने और विशाल पेड़ों को बचाना है। क्योंकि वे न सिर्फ पर्यावरण बल्कि संस्कृति के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
साल 2023 में उन्होंने ‘300 ट्रीज, वन लाइफ’ अभियान शुरू किया। इसका लक्ष्य जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और मिट्टी के कटाव जैसी समस्याओं का हल निकालना है। भेराराम की मेहनत और जुनून ने हजारों लोगों को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाया है। वे साबित कर रहे हैं कि एक व्यक्ति की लगन से पूरे समाज और प्रकृति में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।