बाड़मेर के गिरल गांव में स्कूल के मैदान से 25-30 फीट ऊंचा रेत का टीला हटाया गया। भामाशाहों ने पांच बीघा जमीन दान दी थी, जिस पर टीला होने से खेल मैदान नहीं बन पा रहा था। जिला परिषद और ग्रामीणों के प्रयासों से समतलीकरण शुरू हुआ।
शिव (बाड़मेर): जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का। किसी शायर की ये पंक्तियां बाड़मेर जिले के आकली ग्राम पंचायत के गांव गिरल में चरितार्थ होती नजर आई।
बता दें कि यहां 25-30 फीट ऊंचा और 200-250 फीट लंबा रेत का विशाल टीला स्कूली बच्चों की खेल गतिविधियों में बाधा बन रहा था, जिसे ग्रामीणों के हौंसले व जिला परिषद के सहयोग से हटाया जा सका।
लिग्नाइट खनन कार्य से प्रभावित क्षेत्र में विद्यालय स्वीकृति के बाद भवन निर्माण के लिए सरकारी जमीन नहीं थी। इस दौरान गांव के भामाशाहों ने अपनी खातेदारी कृषि भूमि से विद्यालय भवन के लिए पांच बीघा जमीन निःशुल्क प्रदान की।
दान में मिली आधे से ज्यादा जमीन पर 25-30 फीट ऊंचे और 200-250 फीट लंबे रेत के विशाल टीले से ढकी थी। जहां जैसे-तैसे भवन निर्माण के बाद खेल मैदान और चारदीवारी का निर्माण नहीं हो पा रहा था।
विद्यालय स्टॉफ और ग्रामीणों ने 15 अगस्त के कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों को समस्या से अवगत करवाया। आकली ग्राम पंचायत के प्रशासक भूर सिंह राठौड़ और जिला प्रमुख महेंद्र चौधरी के प्रयासों से जिला परिषद ने बजट आवंटन किया। इसके बाद समतलीकरण कार्य शुरू किया गया। इस कार्य में तीन जेसीबी मशीन और 6-7 ट्रैक्टर दिन-रात काम कर रहे हैं।
हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि यह टीला हट जाएगा। अब यहां जल्द ही एक हरा-भरा खेल का मैदान बनेगा, जहां बच्चे दौड़ेंगे, खेलेंगे और पढ़ाई करेंगे।
-मोहनलाल लाल, संस्था प्रधान