प्रतिवर्ष करीब 4000 करोड़ का राजस्व राज्य सरकार को और 10 हजार करोड़ का राजस्व केंद्र सरकार को मिल रहा है। 2009 से अब तक इन खोज के जरिये 15 खरब रुपए राजस्व देश को मिल चुका है।
Navratri 2025 Special: थार के रेगिस्तान में 38 में से 36 तेल खोज का नाम देवी के नाम पर है। विश्व की सबसे बड़ी खोज मंगला भी इसमें शामिल है। 2003 में हुई इस मेहरबानी के बाद रेगिस्तान के इस इलाके को देश का सबसे बड़ा तेल उत्पादक इलाका बनने का सौभाग्य मिला है।
प्रतिवर्ष करीब 4000 करोड़ का राजस्व राज्य सरकार को और 10 हजार करोड़ का राजस्व केंद्र सरकार को मिल रहा है। 2009 से अब तक इन खोज के जरिये 15 खरब रुपए राजस्व देश को मिल चुका है।
बाड़मेर-सांचौर बेसिन में तेल खोज 2003 में हुई तो विश्व की सबसे बड़ी खोज का नाम मंगला दिया गया। इसके बाद में भाग्यम, ऐश्वर्या, दुर्गा। इसी तरह कुल 38 में से 36 खोज को देवी का नाम दिया गया।
वजह यह देवी उपासना की धरती है। इस इलाके में देवी के नाम पर ओरण-गोचर पहले से हैं। एक के बाद एक खोज ने इस इलाके को देश का तेल संपन्न इलाका बना दिया। इन खोज का परिणाम रहा है कि 2009 में बाड़मेर में तेल उत्पादन शुरू हुआ। अब तक बाड़मेर से 70 करोड़ से अधिक बैरल क्रूड ऑयल का उत्पादन हो चुका है।
तेल उत्पादन को लेकर अभी भी प्रतिदिन 10 करोड़ रुपए से अधिक राज्य सरकार और 30 करोड़ केंद्र सरकार को राजस्व पहुंच रहा है। तेल कंपनी ने महिला सशक्तीकरण को लेकर 33 प्रतिशत पदों पर महिलाओं की नियुक्ति करने का लक्ष्य हासिल किया है। यह भी तेल क्षेत्र में अब तक की बड़ी मिसाल बन रही है।
तेल क्षेत्र के नाम देवी नाम पर रखे हुए हैं। इसमें थार की संस्कृति के साथ ही तेल यानि पावर और शक्ति से जुड़ा है। राजस्थान में शक्ति का मतलब देवी से है। दूसरा महिला सशक्तीकरण के लिए भी देवी नाम है। इन सारे तथ्यों को ध्यान में रखते हुए तेल क्षेत्र के नाम एक के बाद एक देवीय नाम से रखे गए।
अयोध्या प्रसाद गौड़, हेड स्टेकहोल्डर रिलेशन्स, केयर्न ऑयल एंड गैस
वर्ष 2022 में 350 अरब का निवेश प्रारंभ हुआ है। इसमें नए तेल कुओं की खोज शुरू हुई है। सांचौर के पास मिली एक खोज को दुर्गा नाम दिया गया है, लेकिन वह इतनी बड़ी नहीं है। तेल कंपनी अब भी आश्वस्त है कि कामयाबी मिलेगी और तेल खोज अनवरत जारी रखेंगे।
तेल कंपनियों की खासियत यह भी रही थार के रेगिस्तान में देवी के नाम से संरक्षित ओरण-गोचर की जमीन में कुओं की ड्रिलिंग नहीं की गई। इसके लिए नियमानुसार ड्रिल नहीं कर सकते थे लेकिन कंपनी ने इसके लिए दबाव भी नहीं बनाया। ऐसे में संयोग रहा कि ओरण-गोचर के बाहर ही बड़े खजाने मिल गए।